Book Title: Samajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Author(s): Jyotiprasad Jain
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad

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Page 46
________________ ब्रह्मचारी जी कृत समयसार-कलस भाषा-टीका की प्रसस्ति अग्रवाल शुभ वंश में, जन्म लखनऊ जास / पिता सु मक्खन लाल है, पुत्र तृतीय हूं तास // 1 // उन्नीससौ पैंतीस बरस, विक्रम संवत जान / जन्म सुकार्तिक मास में, "सीतल” नाम बखान // 2 // बत्तिस वय अनुमान में तज प्रपंच दुखदाय / श्रावक ब्रत निज शक्ति सम, धरे आत्म सुखदाय // 3 // भ्रमण करत साधत धरम, वर्षा ऋतु इक थान / बसत ज्ञान संग्रह करण, संगति लखि सुखदान // 4 // विक्रम छियासी उन्निसे, उन्निस उन्तिस मांहि / धाराशिव वर्षांऋतु, रहा आन सुख छांहि // 5 // दो सहस्त्र ऊपर भये, जैनी नृपकरकंडु / उत्तर दिशा पर्वत तले, गुफा माहि गुणमंडु // 6 // पार्श्वनाथ जिन बिम्वसों, पल्यंकासन धार / ध्यानमई पाषाणमय, रच्यो हस्तनौ सार // 7 // दर्शन पूजन जासको, करत पाप क्षय होय / स्वानुभूति निज में जगे, सुख उपजे दुख खोय // 8 // हुमड़ जाति शिरोमणि, नेमचन्द्र गुणवान / भ्राता माणिकचन्द्र हैं, गृही धर्मरत जान // 6 / / हीराचन्द्र सुवेष्ठि है, और शिवलाल बखान / नेमचन्द्र अध्यात्म प्रिय, जाति खण्डेला जान // 10 // श्रेष्ठि नेम पुत्री गुणी, माणिकबाई नाम / धर्म प्रेम वात्सल्ययुत, धरत शांत परिणाम // 11 // इत्यादि सामि यह, काल शास्त्र रस पान / करत जात अनन्द से, बढ़त ज्ञान अमलान / / 12 / / नूतन मन्दिर एक है, ऋषभदेव भगवान / पार्श्वनाथ को जीर्ण है, मन्दिर दूजो जान // 13 // 36

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