Book Title: Samajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Author(s): Jyotiprasad Jain
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad

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Page 30
________________ 1913 - वाराणसी चातुर्मास, स्वाद्वाद महाविद्यालय के अधिवेशम के अवसर पर डा. हर्मन जेकोबी, महामहोपाध्याय डा. सतीष चन्द्र विद्याभूषण प्रभृति अनेक प्रकांड विद्वानों की उपस्थिति में 'जैनधर्म भषण" की उपाधि से सम्मानित / एक वर्ष के लिए नियम लिया कि जिस दिन शास्त्रों का कुछ न कुछ अनुवाद न कर लूंगा, आहार नहीं लूंगा। 1914 - बंबई चातुर्मास, नियमसार का भाषानुवाद एवं टीका लिखी। इसी वर्ष इनके परम हितैषी सेठ माणिकचन्द्र जी का स्वर्ग वास (13 जुलाई) को हुआ। 1915 - इन्दौर चातुर्मास, समयसार की टीका लिखी। बैरिस्टर जे० एल. जैनी, जज इन्दौर, को तत्वार्थ सूत्रा, पंचास्तिकाय और गोम्मटसार-जीवकांड के अंग्रेजी अनुवाद में प्रेरणा एवं सहयोग / कारंजा चातुर्मास, भट्टारक वीरसेन स्वामी के संसर्ग से आध्यात्मिक अध्ययन-प्रवचन में अभिरूचि विशेष वृद्धिगत, "आत्मधर्म" पुस्तक की रचना / इन्दौर चातुर्मास, जज जे० एल० जैनी को गोम्मटसार-कर्मकांड (भाग 1) व समयसार के अंग्रेजी अनुवाद में सहायता दो। 1918 - बड़ौदा चातुर्मास, "दानवीर सेठ मणिकचन्द्र" ग्रंथ का लेखन / रथोत्सव व अढ़ाईद्वीप विधान बड़ौदा में कराया / 1916 - बागीदौरा चातुर्मास, बांसवाड़ा जैन संस्कृत विद्यालय की स्पा पना कराई और उसके लिए २७०००/-रू. का दान कराया। 1920 - दिल्ली चातुर्मास, व्यापारिक जैन विद्यालय की स्थापना कराई, "समाधिशतक" की टीका लिखी। जूनागढ़ के आनंद धर्मालय में "आधुनिक काल में मनुष्य कर्तव्य" पर भाषण (26-120), गौहाटी (आसाम) में असिस्टेन्ट कमिश्नर की अध्यक्षता में अंग्रेजी में भाषण दिया (8-4-20) / 1921 - लखनऊ चातुर्मास, "इष्टोपदेश" की टीका लिखी, ब्रह्मचारिणी पार्बती बाई के माध्यम से महिला समाज में जागति कराई। उत्साही सहयोगी कुमार देवेन्द्र प्रसाद का निधन / ( 23)

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