Book Title: Samajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Author(s): Jyotiprasad Jain
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad
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________________ पैथ-चिन्ह युगपुरुष पू. ब्रह्मचारी जी के जीवन के प्रेरणाप्रद पपचिन्ह जो काल के बालुका पथ पर छोड़ गये : 1978 ई०. कार्तिक कृष्ण अष्टमी, वि० सं० 1935 में जन्म, लखनऊ नगर के मोहल्ला सराय मालीखां की "कालामहल" नामक हवेली में माता नारायणी देवी की कुक्षी से, पिता श्री मक्खनलाल, पितामह श्री मंगलसेन, दिगम्बर जैन, गोयल गोत्रीय अग्रवाल / १८८५-पितामह के पास कलकत्ता गए, वहीं प्रारभिक शिक्षा और धार्मिक संस्कार प्राप्त किए। 1888 -- लखनऊ में जैन धर्म प्रवर्द्धनी सभा की स्थापना, जिसके वह प्रारंभ से ही सक्रिय सदस्य रहे। 1863 -- कलकत्ता में श्री छेदीलाल गुप्त की पुत्री के साथ विवाह / 1896 -- कलकत्ता में प्रथम श्रेणी मे मेट्रीकुलेशन परीक्षा पास की। प्रथम लेख प्रकाशित हुआ जैन-गजट में, समाज के उद्बोधन रूप में। कलकत्ता से लखनऊ वापिस लौट आये ।दिगम्बर जैन महासभा के सदस्य बने। 1600-13 अक्टूबर महासभा की प्रबन्धकारिणी समिति के सदस्य के रूप में उसके मथुरा अधिवेशन में सम्मिलित हुए / 1901 -- एकाउन्टेन्ट परीक्षा में उत्तीर्ण / अवध रूहेलखण्ड रेलवे में नियुक्ति / जैन धर्म प्रवर्द्धनी सभा लखनऊ तथा अवध प्रान्तीय जैन सभा के उपमंत्री निर्वाचित। बा० अजित प्रसाद जैन से संपर्क प्रारंभ / धर्म ग्रन्थों के स्वाध्याय की रुचि और समाज सेवा की प्रवृत्ति वद्धिगत / १६०२-दि० जैन महासभा का मुखपत्र "जैनगजट" इनके प्रबन्ध में लखनऊ से मुद्रित होने लगा। .. १९०३-पिता श्री मक्खनलाल जी का देहान्त / / 1604- माता नारायनी देवी (मार्च), धर्मपत्नि (13 मार्च ) अनुज पन्नालाल ( 15 मार्च ) का देहान्त -- एक सप्ताह के भीतर ही तीन निकटतम आत्मीयों की दुख :द मृत्यु ने चित्त में संसार-देह--भोगों से विरक्ति का बीज बो दिया / स्वाध्याय, शास्त्र प्रवचन और समाज सेवा में अधिक समय व्यतीत होने लगा / बा० अजित प्रसाद वकील से निकट संपर्क प्रारंभ। महिलारल मगनबेन के लखनऊ आगमन पर उनसे भेंट एवं सम्पकरिभ / अम्बाला में महासभा, पंजाब प्रान्तीय जैन सभा तथा जैन यंगमेन्स एसोसियेशन के संयुक्त अधिवेशन में उत्साही एवं कर्मठ सहयोग के ( 21 )