Book Title: Samajonnayak Krantikari Yugpurush Bramhachari Shitalprasad
Author(s): Jyotiprasad Jain
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Digambar Jain Parishad
View full book text
________________ पुत्र हैं / 55 वर्षीय, अनुभवी प्रौढ़ श्री डालचन्द जी न केवल कुशल व्यापारी हैं। वरन् एक प्रबुद्ध राष्ट्रचेता, समाजचेता, उदारमना दानशील एवं सेवाभावी सज्जनरत हैं। आपकी धर्म पत्नि श्रीमती सुधारानी सुप्रसिद्ध समाजचेता न्यायाधीश स्व. श्री जमना प्रसाद कलरैया की सुपुत्री हैं और अपने पति की सुयोग्य धर्मपत्नी एवं सदगृहणी हैं। श्री डालचन्द जी यद्यपि मूलतः तारण-तरण (समैया) समाज के नर रत्न हैं, वह सर्व प्रकार के जाति व्यामोह, पंथ मढ़ता या साम्प्रदायिक पक्षपात से बहुत ऊपर है / वस्तुतः उनकी जनसेवा का क्षेत्र इतना व्यापक, विस्तृत एवं विविध रहता आया है कि उसे किसी एक दायरे में सीमित नहीं किया जा सकता। किशोरावस्था से ही उनमें राष्ट्रीय चेतना विकसित हुई, गाँधीवादी विचारधारा से वे बहुत प्रभावित रहे, 1942 के "भारत छोड़ो आन्दोलन" में सक्रिय भाग लिया और जेल यात्रा भी की। इस प्रकार स्वतंत्रता सेनानियों में भी वह परिगणित हुए / तदनन्तर अपने नगर, क्षेत्र एवं प्रान्त की कांग्रेसी राजनीति में सक्रिय रहे, छः वर्ष (1963-68) वह सागर की नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष रहे और साधिक दस बर्ष (1967-77) मध्यप्रदेश विधान सभा में कांग्रेसी विधायक रहे / पचासों सरकारी एवं गैर सरकारी राजनीतिक व्यापारी, सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक सस्थाओं तथा संगठनों के वह सक्रिय सदस्य, ट्रस्टी एवं पदाधिकारी रहते आये हैं। बिना किसी साम्प्रदायिक या जातीय भेदभाव के जैन समाज की तो स्थानीय ही नहीं कई अखिल भारतीय संस्थाओं से भी वह सम्बद्ध रहते आये हैं। गत पांच वर्षों से वह दिगम्बर जैन परिषद के मनोनीत अध्यक्ष हैं। उनके अध्यक्ष काल में भिंड (1978), इन्दौर (1980) और कानपुर (1982) जैसे परिषद के अति विशाल एवं प्रभावक वार्षिक अधिवेशन सम्पन्न हुए, जिनकी सफलता का बहुत कुछ श्रेय श्री डालचन्द जी के उत्साह, कर्मठता, विलक्षणता, मधुर व्यवहार एवं सूझबूझ को है / उनके हृदय में समाजोत्थान की तड़प है और इस हेतु वह सदैव तत्पर व प्रयत्नशील रहते हैं। अव यह बात दूसरी है कि उपयुक्त सहयोगियों एवं समर्पित समाजसेवी कार्यकर्ताओं की अत्यन्त विरलता तथा परिषद की अर्थाभाव आदि कुछ बुनियादी कमजोरियों के कारण वह जितना कुछ कर सकते हैं, या करना चाहते हैं, कर नहीं पा रहे हैं। तथापि इस विषय में संदेह नहीं कि श्री डालचन्द जी की गणना वर्तमान दिगम्बर जैन समाज के सर्वोपरि नेताओं एवं हितैषियों में है। स्व. ब्रह्मचारी (7)