Book Title: Samadhitantram Author(s): Devnandi Maharaj, Jugalkishor Mukhtar Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad View full book textPage 6
________________ विषयानुक्रमणिका विषय पशोक पृष्ठ सिवात्मा और सकलात्माको नमस्काररूप मंगलाचरण १.२ ३ विषय तथा आघारको स्पष्ट करते हुए ग्रन्थ रचनेकी प्रतिज्ञा ३ मात्माके बहिराल्मा, अन्तरात्मा और परमारमा ऐसे तीन भेद और सनकी हेयोपादेयता बहिरात्मादिका जुदा-जुदा लक्षण परमात्माके वाचक कुछ नाम बहिरात्माके शरीरमें कारमय नटि होने का कारण पतुर्गति-सम्बन्धी शरीरभेदसे जीवभेद की मान्यता बहिरात्माकी अन्य शरीर-विषयक मान्यता शरीरमें आत्मत्व-बुद्धिका परिणाम बहिरात्मा और अन्तराल्माका कर्तम्यमेव शरीरमें धात्मस्वबुद्धिपर खेद शरीरसे धात्मत्वबुशि छोड़ने और अन्तरात्मा होने की प्रेरणा १५ मन्तरात्माका अपनी पूर्व अवस्थापर खेवप्रकाश मात्मज्ञानका उपाय अन्तरंग और बाह्यवचन-प्रवृत्तिके त्यागका उपाय अन्तर्विकल्पोंके त्यागका प्रकार मात्माका निर्विकल्प स्वरूप बात्मज्ञानसे पूर्वकी और बादको पेन्टाका विचार २१.२२ लिंग-संख्यादि विषयक भ्रमनिवारणात्मक विचार २५ आत्मस्वरूप-विचार मात्मानुभवीका शत्रु-मित्र विधार ५.२६ २७-२८ परमात्मपरकी प्राप्तिका उपाय २७ २९ परमात्मपरकी भावनाका फल २८ भय और भयके समान ३१ खात्माकी प्राप्तिका उपाय ३०,३१,३२ ३१-३३ आत्मज्ञानके बिना तपश्चरण व्यर्थ-मुक्ति नहीं हो सकती मात्मशानको तपश्चरणसे खेद नहीं होता ३४ ३५ खेद करनेवाला आत्मज्ञानी नहीं-निश्चल प्राणी ही आत्मदर्शी होता है आत्मतत्व और आत्मत्रान्ति स्वरूप और उसमें त्याग-प्राण ३६ ३३ ३४Page Navigation
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