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58. हरिभद्र के धर्मदर्शन में क्रांतिकारी तत्त्व 59. हरिभद्र की क्रांतिदर्शी दृष्टि :धूर्ताख्यान के सन्दर्भ में 60. हरिभद्र के धूर्ताख्यान का मूल स्रोत 61. जैन वाक्य दर्शन 62. जैन साहित्य में स्तूप 63. रामपुत्त या रामगुप्त : सूत्रकृतांग के सन्दर्भ में 64. जैन धर्म में नैतिक और धार्मिक कर्त्तव्यता का स्वरूप 65. आचारांगसूत्र का विश्लेषण 66. जैनधर्म का एक विलुप्त सम्प्रदाय : यापनीय 67. अध्यात्म और विज्ञान 68.आचार्य हेमचन्द्र : एक युग पुरुष 69. सतीप्रथा और जैनधर्म 70. स्याद्भद और सप्तभंगी : एक चिन्तन 71. जैनधर्म में तीर्थ की अवधारणा 72. पार्श्वनाथ जन्मभूमि मन्दिर वाराणसी का पुरातत्त्वीय वैभव 73. जैन परम्परा का ऐतिहासिक विश्लेषण 74. जैनधर्म में नारी की भूमिका 75. जैनधर्म के धार्मिक अनुष्ठान एवं कला तत्त्व 76. समाधिमरण की अवधारणा की आधुनिक परिप्रेक्ष्य में समीक्षा 77. उच्चैर्नागरशाखा के उत्पत्ति स्थान एवं उमास्वाति के
जन्म स्थल की पहचान
श्रमण/वर्ष 37, अंक 12
अक्टूबर 1986 श्रमण/वर्ष 39/अंक 4
फरवरी 1987 श्रमण/वर्ष 39/अंक 4
फरवरी 1987 Vaishali Institute Research Bulletin No. 6
1987 Aspects of Jainology/Vol.||
1987 Aspects of Jainology/Vol. Il
1987 Aspects of Jainology/Vol.1
1987 श्रमण/वर्ष 39/अंक 2
दिसम्बर 1987 श्रमण
जुलाई 1988 श्रमण
अक्टूबर 1989 श्रमण
अक्टूबर 1989 साध्वीरत्न कुसुमवती अभिनन्दन ग्रन्थ
1990 श्रमण
जनवरी-मार्च 1990 श्रमण
अप्रैल-जून 1990 श्रमण/संस्कृति संधान, वाल्यूम 3
1990 श्रमण
जुलाई-सितम्बर 1990 श्रमण
अक्टूबर-दिसम्बर 1990 श्रमण
जनवरी-मार्च 1991 श्रमण
अप्रैल-जून 1991 श्रमण
जुलाई-दिसम्बर1991
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