________________
प्रो. सागरमल जैन
4. प्रो. काशीप्रसाद जायसवाल 19
5. एस. व्ही. वैंक्टेश्वर 20 ई. पू. 437
256
इन्होंने अपने लेख आइडेन्टीफिकेशन आफ कल्की में मात्र दो परम्पराओं का उल्लेख किया है। महावीर की निर्वाण तिथि का निर्धारण नहीं किया है।
इनकी मान्यता अनन्द विक्रम संवत् पर आधारित है। यह विक्रम संवत् के 90 वर्ष बाद प्रचलित हुआ था ।
6. पं. जुगलकिशोरजी मुख्तार 21 ई. पू. 528 इन्होंने अनेक तर्कों के आधार पर परम्परागत
मान्यता को पुष्ट किया ।
7. मुनि श्री कल्याणविजय 22 ई.पू. 528
Jain Education International
इन्होंने भी परम्परागत मान्यता की पुष्टि करते हुए उसकी असंगति के निराकरण का प्रयास किया है।
8. प्रो. पी. एच. एल झगरमोण्ट 23 ई.पू. 252 इनके तर्क का आधार जैन परम्परा में तिष्यगुप्त की संघभेद की घटना का जो महावीर के जीवनकाल में उनके कैवल्य के 16वें वर्ष में घटित हुई, बौद्ध संघ में तिष्यरक्षिता द्वारा बोधि वृक्ष को सुखाने तथा संघभेद की घटना से जो अशोक के राज्यकाल में हुई थी समीकृत कर लेना है। इन्होंने सामान्यतया प्रचलित अवधारणा को मान्य कर लिया है।
9. वी. ए. स्मिथ 24 ई. पू. 527
10. प्रो. के. आर. नारमन 25 लगभग ई. पू. 400
भगवान महावीर की निर्वाण तिथि का निर्धारण करने हेतु जैन साहित्यिक स्रोतों के साथ-साथ हमें अनुश्रुतियों और अभिलेखीय साक्ष्यों पर भी विचार करना होगा। पूर्वोक्त मान्यताओं में कौन सी मान्यता प्रामाणिक है, इसका निश्चय करने के लिये हम तुलनात्मक पद्धति का अनुसरण करेंगे और यथासम्भव अभिलेखीय साक्ष्यों को प्राथमिकता देंगे।
भगवान महावीर के समकालिक व्यक्तियों में भगवान बुद्ध, बिम्बसार, श्रेणिक और अजातशत्रु कूणिक के नाम सुपरिचित हैं। जैन स्रोतों की अपेक्षा इनके सम्बन्ध में बौद्ध स्रोत हमें अधिक जानकारी प्रदान करते हैं । जैन स्रोतों के अध्ययन से भी इनकी समकालिकता पर कोई सन्देह नहीं किया जा सकता है। जैन आगम साहित्य बुद्ध के जीवन वृतान्त के सम्बन्ध में प्रायः मौन हैं, किन्तु बौद्ध त्रिपिटक साहित्य में महावीर और बुद्ध की समकालिक उपस्थिति के अनेक
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org