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93 अर्धमागधी आगमसाहित्य में समाधिमरण
भी उनके उपजीव्य हो सकते हैं। इसी प्रकार आगमों की शीलांक और अभयदेव की वृत्तियां भी बहुत कुछ सूचनायें प्रदान कर सकती हैं। उदाहरण के रूप में क्षपक अर्थात् संलेखना लेने वाले श्रमण के मरणोपरान्त देह को किस प्रकार विसर्जित किया जाये, इसकी चर्चा भगवती आराधना और निशीथ चूर्णि में समान रूप से मिलती है । आशा है विद्वानों की आगामी पीढ़ी इस तुलनात्मक चर्चा को पूर्णता प्रदान करेगी।
- प्रो. सागरमल जैन, पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी - 5
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