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तुलसी प्रज्ञा/वाल्यूम 4, अंक 3 महावीर जयन्ती स्मारिका, जयपुर
1978 1978
अक्टूबर
दार्शनिक श्री पुष्कर मुनि अभिनन्दन ग्रन्थ श्री दिवाकर स्मृति ग्रन्थ
1978 1979
1978
श्री दिवाकर स्मृति ग्रन्थ श्रमण/वर्ष 30, अंक 8,
1978 दार्शनिक जून 1979
19. जैनदर्शन में नैतिक मूल्यांकन का विषय 20. जैन, बौद्ध और गीता के दर्शन में कर्म का
शुभत्व एवं अशुभत्व और शुद्धत्व __21. जैनदर्शन के 'तर्क प्रमाण' का आधुनिक सन्दर्भो में मूल्यांकन
23. मनः शक्ति, स्वरूप और साधना : एक विश्लेषण 24. सदाचार के शाश्वत मानदण्ड और जैनधर्म
(500/-रुपये का प्रथम पुरस्कार प्राप्त) 25. जैन दर्शन में मिथ्यात्व और सम्यक्त्व 26. प्रवर्तक एवं निवर्तक धर्मों का मनोवैज्ञानिक विकास एवं
उनके दार्शनिक एवं सामाजिक प्रदेय 27. जैन साधना के मनोवैज्ञानिक आधार 28. अहिंसा का अर्थ विस्तार, सम्भावना और सीमा क्षेत्र 29. नैतिक मानदण्ड : एक या अनेक 30. बालकों के संस्कार निर्माण में अभिभावक,
शिक्षक व समाज की भूमिका । 31. धर्म क्या है ? (क्रमशः तीन अंको में) 32. जैन धर्म में भक्ति का स्थान 33. आत्मा और परमात्मा 34. अध्यात्म बनाम भौतिकवाद 35. संयम : जीवन का सम्यक् दृष्टिकोण 36. भेद विज्ञान : मुक्ति का सिंहद्वार
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1979 1980
श्रमण/वर्ष 30, अंक 11 श्रमण/वर्ष 31, अंक 3 दार्शनिक श्रमण
सितम्बर जनवरी जनवरी जनवरी
1980 1980
श्रमण/वर्ष 31, अंक 4, फरवरी 1980, श्रमण/वर्ष 34 फरवरी 1983 श्रमण/वर्ष 31, अंक 5
मार्च 1980 श्रमण/वर्ष 31, अंक 5
मार्च 1980 श्रमण/वर्ष 31, अंक6
अप्रैल 1980 श्रमण/वर्ष 31, अंक 9
सम्बोधि/वाल्यूम 8, जुलाई 1980 श्रमण/वर्ष 31, अंक 9
जुलाई 1980
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