Book Title: Ratribhojan Pariharak Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 4
________________ (२) ॥ ढाल पहेली ॥ चोपाश्नी देशी ॥ ॥ जो जो बानी विचारी खो, माणसटोकियो आपशु तणी पर वयो रहे, रात्रि दिवस सर सदहे ॥१॥ दिवस बोडी जे राते खाय, राक्षस सरिखा ते कदेवाय ॥ माणस नहिं पण ते जमदू जाणे प्रत्यद दीसे चूत ॥२॥जे थया पूर्व ऋषी गण, तेणे जांख्यां ने शास्त्र पुराण॥हैयुं उघाडी महोटा दोष कह्या जे जेह ॥३॥ पवित्र नही नांखी गोमती, सिंधु सरस्वती साबरमती ॥ गंगा यमुना गोदावरी, सीता सीतोदा गुण जरी ॥४॥ न दी नरबदा गया प्रयाग, निर्मल पावन नीर अथाग। दिननायक अस्ताचल जाय, रुधिर सरीखं जलते था य ॥५॥ नारतमाहे कयु जगवान, समजो जो हों य हैयडे शान ॥ रुधिर मांस पाणी ने अन्न, मानो श्रीमार्कम वचन्न ॥६॥व्रत करे केश एकादशी, धर्म कोजे मानव धसमसी ॥ पुःकर चांजायण तप करे, अंडशन तीरथ करतो फरे ॥ ७॥ एहवा धर्मी रय मी जमे,तेतो फोकट काया दमे ॥धर्म कह्यो तेहनो श्रप्रमाण, एहवां बोले वचन पुराण ॥ ॥ रातें क वन कयु नान, रातें देवू पण नहीं दान ॥ रातें Jain Educationa Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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