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स्वरादेश (७)
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रविवारे भासिस्ससि ? जो पमायइ सो पावकम्मं बंधइ। पइविओगेण तस्स भारिया जूरइ । पई पत्ति कहं पिट्टइ ? तुमए पुठवं अकअं करं संपइ कहं परितप्पइ ? सो कहं तिप्पइ ? अव्यय प्रयोग
तुमए अत्थ न ठाअव्वं अन्तहि ठाणं दट्ठव्वं । गामओ बाहिं विज्जालयं अस्थि । तस्स कए एअं न सोहइ । इह काले अमुम्मि भूमीए तारिसो विउसो को अत्थि ? सो एग थिं अभिक्खणं दसइ, तं पइ राओ अत्थि इअ जाणिज्जइ । जं हं पुव्वमकासी पमाएण तं न उणा करिहामि इअ मे संकप्पो । प्राकृत में अनुवाद करो
घर के भीतर आंगन में बच्चे खेल रहे हैं । किंवाड को बंद मत करो। वह छत पर बैठकर पुस्तक क्यों पढता है ? दहलीज पर खडा मोहन किसको देख रहा है ? खिडकी से समुद्र की चंचलता का दृश्य देखो। चिंतन का दरवाजा सदा खुला रहता है । बरामदे में धूप में कौन बैठा है ? खूटी पर अधिक वस्त्र मत रखो। छोटे दरवाजे से कुत्ता भीतर आता है । घर के पिछले आंगन में वह क्या कर रहा है ? शीतकाल में हम ओसारा में सोते हैं। घर के बाहर की कोठरी में तुम किसका स्वागत करते हो? तुम तीखी खूटी कहां से लाए हो ? दीवाल पर अक्षर कौन लिखता है ? अट्टारी पर कौन चढता है ? धातु का प्रयोग करो
वह पीने के लिए पानी की याचना करता है। असत्य बात के लिए वह वाद विवाद क्यों करता है ? मैं जैसा बोलता हूं वैसा करता हूं। जो दूसरे का अपमान करता है उसका फल अच्छा नहीं होता । तुम भाषण करते हो उसमें सत्य कितना है ? एक क्षण भी प्रमाद मत करो। जो झुरता है वह कर्म का बंधन करता है । वह देवता को पितृदान देता है। दुःख आने पर तुम क्यों रोते हो? क्रोध में माता बच्चे को पीटती है। उसने भयंकर गलती की फिर भी परिताप नहीं करता । अव्यय का प्रयोग करो
__माता बच्चे को कहती है घर के बाहर मत जाओ। तुम्हें सेवा के लिए वहां जाना है। तुमने जो गलती की है वैसी पुनः नहीं करनी चाहिए। बार-बार खाना स्वास्थ्य के लिए हानिप्रद है । यह पुस्तक मैं तुम्हारे लिए लाया हूं । तुम्हारे जैसा तपस्वी मैंने नहीं देखा । निर्जरा को छोडकर यश और कीर्ति के लिए तप नहीं करना चाहिए ।
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