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प्राकृत वाक्यरचना बोध
जा रहे हो । वह कौन सा आगम पढता है ? देखो, रात को कौन और क्यों रोता है ? माता बच्चों को कहानी कहती है । मुझे तुम्हारा स्नेह प्राप्त होता है । मैं मिठाई नहीं खाता हूं। साधु अग्नि को नहीं छूते हैं। उसकी निंदा करने से तुम क्या प्राप्त करते हो? जो हिंसा करता है वह जीवों के प्राण छीनता है। वह भवसागर को तैरता है । अब तुम क्या करते हो ? समय के साथ वस्त्र जीर्ण होते हैं । धर्म के साथ तुम पुण्य का भी अर्जन करते हो । मैं तुमको नहीं जानता । वह तुम्हारे से क्यों नहीं बोलता है ? मैं आज से साधना प्रारंभ करता हूं। पहले सोचकर जो प्रीति करता है वह दुःख नहीं पाता । वह अपने खेत को क्यों नहीं सींचता है ? वह प्रकृति से शिक्षा ग्रहण करता है। क्या वह आकाश को छूता है ?
. प्रश्न १. सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु, केतु, ग्रह, नक्षत्र
और तारा के लिए प्राकृत शब्द बताओ। २. संचिण, संचुण्ण, संजम, संजय, संजोअ, संझाअ, संणज्झ, संतर, संताव
और संथरइन धातुओं के अर्थ बताओ और वाक्य में प्रयोग करो।
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