Book Title: Prakrit Vakyarachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 582
________________ परिशिष्ट ५ फुनसी - फुडिया (६९) फोटु-पडिच्छाया (६६) बंदर -- पवओ ( १०० ) बजाना --- वायणं (८७) बजे - वायणसमय (सं) (२३) बर्फ - हिमं (८३, १०६ ) बस – अलाहि (१०८ ) बहुश्रुत- बहुस्सुओ (१०७) बातचीत -- वत्ता, परिकहा ( ४० ) बाप - खंतओ (१०६ ) ब्राह्मण - बंभणं (७५) भंडार - कोट्ठागारो (७८) भंडार – भंडारी (१०२) भक्त-भत्तो (८७) भक्ति - भक्ति (स्त्री) (50) भरपूर --- णिब्भर (वि) (१०४) भाग्य - भग्गं (७४) भिखारी - भिक्खारी (८) भीत - भीइ (१०४) भुना हुआ -- भुज्जिअ (वि) (४५) भूतवादिक - भूयवाइयो (१०८) मछली-मच्छा (७६) मछली पकड़ने का जाल - पवपुलो (७६) मदिरा - महरा, सुरा (५१) मनोरथ - मणोरहो (३९) मर्यादा - मज्जा या ( ३६ ) महल -- पासायो (१०२) मांसरहित - निम्मंसं (१०४) मायका - माउघरो, माउघरं ( १०४ ) मारने के लिए — उद्दवेउ ( १०५ ) मारी रोग - असिवं (१०८) मालिक - सामी ( ११ ) Jain Education International मिठाई - मिट्ठन्नं (२५) मुसलमान - जवणी (६३) मुर्गी कुक्कुडी ( १०५ ) मूर्खता - मुक्खत्तणं (१०५) मूल्य - मुल्लो (३६) मैथुन - अवहट्ठ (दे०) (१८) मैला - मलिणं ( १०८ ) म्यान – खग्गपाणयं ( १ ) यंत्र - जंतं (१३) यात्री - जत्ती (१०३) युद्ध—जुज्झं (६६) रक्षा - ताणं (३७) रसोई बनाने वाली - महाणसिणी (१०२) रहस्य - रहस्स (वि) (१०२) राख—भस्सं (३९) रुपया-- रूवगं, रूवगो (५२) रेल की लाइन - लोहसरणी (पुं. स्त्री ) ( ee) रोग - आमयो ( १०८ ) रोगी लुक्को (२३) -लक्खणं (६६) ५६५ लक्षण - लब्धि – लद्धी (स्त्री) (७९) लहर - उम्मी (स्त्री) (५३) लाइसेंस - आणावणं ( ६ ) लापरवाही- - अजागरुअया (१०२) लालच - लोभो (१०५ ) वंशलोचन - वंसरोयणा (५०) वर्षा – वरिसा (१०१) वाचाल - मुहरो (६३) वाद्य-वाइअं (८७) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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