Book Title: Prakrit Vakyarachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 591
________________ प्राकृत वाक्यरचना बोध जलाना--पज्जल (१३) झाम (१५) उज्जाल (४४)पज्जाल (७२) झडना (नीचे गिरना)-झड, पक्खोड पडह (७३)अहिऊल, आलुंख (१०४) (१०७) झरना-खर (४८) पगल (६६) पण्हा जल्दी करना--तुर (५४)तुवर, जअड (८०) खिर, झर, पज्झर, . (१०६) पच्चड, णिच्चल, णिहुआ जागना-जागर (२६)जग्ग (१०२) जानना-जाण (६) मुण (१६) संविद झाग निकलना-फेणाय (६१) (६४) लक्ख (८४) झाडना--आच्छोटन (४८) अक्खोड जाना-गच्छ (६)जा (३१) अइगच्छ (८१)पक्खोड(८२) (३४)आ (४२) वच्च (३६) झुरना-जूर(३०) अइया (५६)दूइज्ज (५६) झूठा ठहरना-कूड (४७) ईर (६६)री (८३) वइवय (८७)वच्च, वग्ग (८८)हिंड टपकना-देखो झरना (६१) संकम (६५) अई, अइच्छ, टूटना-फट्ट (३७) तड (५३) फिट्ट अणुवज्ज, अवज्जस, उक्कुस, (६१) पडिभंस (७६) णिव्वड अक्कुस, पच्चड्ड, पच्छंद, णिम्मह, (१०१) णी, णीण, णीलुक्क, पदअ, रम्भ, परिअल्ल, बोल, परिअल, णिरिणास, णिवह, अवसेह, ठगना-पतार(८)वंच (८७)वेहव वेलव, जूरव, उमच्छ (१०२) अवहर, हम्म (१०६) ठहरना-ठा, थक्क, चिट्ठ, निरप्प जाप करना--जव (६) (१००) जीतना-जिण (६) ठीक करना--सार (२३, ६४) जीतने की इच्छा करना-देव (५६) जीमना-जेम (५१)देखो, खाना - डरना-बीह (७)तस (३६) विह जूरना-जूर (३०) (६२)भा, डर, बोज्ज, वज्ज, जोडना-जुंज (२७)पउंज (६८)लाय तस(१०७) (८५)संकल (६६) जुप्प, जुज्ज डर से विह्वल होना-खउर (४७) (१०३) डसना-उस (२५) जोतना-आउंछ (४२) डांटना-तज्ज (५३) ज्ञान करना-बोध (६२) डूबना-कज्जलाव (४५) आउनु, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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