Book Title: Prakrit Vakyarachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 602
________________ परिशिष्ट ६ ५८५ सकना-सक्क (8) चय, तर, तीर, सान्त्वना देना-धीरव (६६) पार (१०२) आसास (६६) सगाई करना-वर (१२) . साफ करना-पमज्ज (३५) सजाना--पडिकप्प (७४) चिञ्च, अग्घुस, लुञ्छ, पुञ्छ, पुंस, फुस चिञ्चअ, चिञ्चिल्ल, रीड, पुस, लुह, हुल, रोसाण, मज्ज टिविडिक्क, मण्ड (१०४) सजावट करना-पडिकप्प (७४) सामने आना-~ उम्मत्थ, अब्भागच्छ सडना-गल (४८) कुह (५२) (१०६) सडाना-पडिसाड (७८) सामने जाना-पच्चुवगच्छ (७१) सत्य-सत्य ज्ञान करना--पमा (३५) सिखाना-सेह (६४) सदा के लिए घर से निकल नाना- सींचना-आइंच (४२) उप्फुस अभिनिक्खम (३१) (४७) तलहट्ट (५४) सिंच सन्नद्ध करना-पक्खर (६८) (६२) सिम्प, सेअ (१०३) समझना-बोध (६२) __ उंज (८६) समर्थ होना-संचाय (६५) पहुप्प, सीखना-सिक्ख (६२) पभव (१०१) सीझना–सिज्म (६२) समर्पण करना-अल्लव (१४) सीना-सिव (१२) समेटना (संवरण करना)- सुख करना-भद (६३) पडिसंखेव (७८) साहर, साहट्ट, सुनना-सुण (६) आयण्ण (७२) संवर (१०२) सुअ (६३) हण (१०१) सम्मान करना-माण (८१) । सुनाना-साव (१८,६४) सम्यक् प्रयत्न करना-संजय (६६) सुलगाना-पज्जाल (७२) सरकना-सर (३३) सूंघना--जिंघ (८) सुंघ (६३) सहन करना-सह (३२) मरिस आइग्घ (१००) (८१) सूखना-सुस्स (६३) ओरुम्म, सहारा लेना-आलंब (४४) संदाण __वसुआ, उव्वा (१००) (१०१) सूचना करना-सूअ (२३) सांधना-सिव्व (६२) सूर्य के ताप में शरीर को थोडा साक्षात् करना-पच्चक्खीकर (६६) तपाना--आयाव (४३) साथ में रहना-संवस (६४) सेवा करना-सेव (६) सुस्सूस साधु आदि को दान देना--पडिलाभ (२३) अणुचर (३६) भय (७७) (६३) पज्जुवास (७२) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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