Book Title: Prakrit Vakyarachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 603
________________ ५८६ सेवा में उपस्थित रहना — उवचिट्ठ (२७) सेवा शुश्रुषा करना - पडिआगर (७४) सोधना -- सोह (२७) सोना - निवज्ज (१९) सुव, सुप्प (६३) से, सेम, सोअ (१४), कमवस, लिस, लोट्ट, सुअ (१०५) सौं हुए कार्य को करके निवेदन करना - - पच्चप्पिण ( ७० ) स्तब्ध करना - णिट्ठह (१०१ ) स्तुति करना - पत्थ (३६) थु (७८) थव, थुण, थुअ (५६) स्थापना करना —— थक्कव (५४) मि, णुम (१०७ ) स्पष्ट होना- - णिव्वड ( १०१ ) स्थिर होना -- थम्भ (५४) स्नान करना-- - अंगोहल (१४) मज्ज (६५) सिणा (६२) अब्भुत, हा (१००) स्नेह करना - णिज्झ (५३) पणय (50) ferforer (ER) स्नेह पूर्वक पालन करना - लाल (८५) स्पर्श करना - आमुस (६२) संघट्ट (१५) संफुस ( ३६ ) देखो छूना स्फुट होना - फुट्ट (२५) स्मरण करना - सुमर ( ८ ) सर (२६) स्वाद लेना - चक्ख पच्चोगिल (७१) साइज्ज (१४) आसाअ (१८) (५१) Jain Education International प्राकृत वाक्यरचना बोध स्वीकार करना — मन्न ( २७ ) अंगीकर (३४) पडिवज्ज (७७) पडसंधा (७८) पडिसुण (७९) संगच्छ (६५) स्वेद का आना — सिज्ज (५२ ) ह हंसी फूट पडना - मूर (१०३) गुंज, हस ( १०७ ) हजामत करना -- कम्म (१०२) हटना - पक्खिल (७४) हरण करना - हर (ε१) आलुंप (७) हवा करना - वीअ (४४) वोज्ज (१०१) हांकना - हक्क ( १ ) हाथ आदि का काटना - विअंग ( ५० ) हाथी को कवच आदि से सजानागुड (४६) हारना – पराजय (११) हिंसा करना -- अइवाअ (२५) हिंस (२६) हिलना - आयंब (४२) फुर (६१) आहल्ल (६६) आयज्झ, वेव (१०५) देखो, कांपना हिलाना - धुव (५१) हिलोरना - आलोड (६७) हीन होना - हस (६१) : हुकम करना—सास (१७) हैरान करना — कयत्थ (४५) संताव (१६) हैरान होना - किलेस (४७) होना -- अस ( ११ ) भव (६३) हव, हो (११) हुव ( १०१ ) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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