Book Title: Prakrit Vakyarachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text
________________
परिशिष्ट ६
५७६
प्रवास करना-पवस (२७) फिर से पान करना-पडिआइय प्रवेश करना-पविस (७) रिअ (१०७)
फिर से ग्रहण करना-पडिआइय प्रवेश कराना-पइसार (६७) प्रशंसा करना-अच्चीकर (३५)
फिर से पूर्ण करना-पडिहर कत्थ (४५) लाह (८५)
(७६)
फिर से सांधना-पडिसंध (७८) सिलाह (१२) सलह (१०२)
फिसलना-फेल्लुस (३७) प्रस्थान करना-पट्ठव (२३) पत्था
फूटना-फट्ट (३७) फुट (६२)
फूंक मारना-फुम (६१) प्रस्फोटन करना ---पक्खोड (८२) फेंक देना (फेंकना)-अक्खिव (३५) प्रहार करना--सार (१०२)
किर (४६) विकिर (५४) प्राप्त करना-लह (६) पाव (२८) पक्खिव (६७) पक्किर (६८)
पाउण (३३) पडिलंभ, पडिलभ गलत्थ, अड्डक्ख, सोल्ल, पेल्ल, (७७) लभ (७४) आवज्ज णोल्ल, छुह, हुल, परी, पत्त, (६७) लंभ (८४)
खिव (१०५) प्राप्त करने की इच्छा करना-लिच्छ फैलना-वउल (८७) पयल्ल, उवेल्ल
पसर (१०२) प्रार्थना करना—विण्णव (२३) फैलना (गंध का)-महमह (१०२)
अभिपत्थ (३२) पत्थ (३५) फैलाना-तड, नड्डु, तड्डव विरल्ल, पच्छ (७१)
तण (१०५) प्रेरणा करना-पणोल्ल (८०) फोडना-फुड (२४)
(८५)
फटना-फुड (२४ फट्ट (३७) फुट
(६१) विसट्ट, दल (१०६) फडकना (फरकना) -- फुर (३६) ।
पप्फुर (६०) फुर (६१)
चुलचुल, फंद (१०४) फलना-फल (२८) फाडना-कराल (४५) फाड
बंद होना--निमील (२४) ओमील
(४०) बकरे का बोलना-बुब्बुअ (६३) बजाना-वायइ (७६) वज्जाव
(८७) वाए (८६) बढचढ कर बात करना-पगब्भ
(२५) बढना--वड्ढ (९) पक्खुम्भ (६८) बतलाना-पन्नव (१५) दरिस
(३६)
फिरफिर घिसना-पघंस (६६)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622