Book Title: Prakrit Vakyarachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 599
________________ ५८२ प्राकृत वाक्यरचना बोध लगाना (मालूम होना)-पडिहा, याचना करना—जाय (३०) पडिहास (७६) याद करना-गुण (४६) लगाना (जोडना)-लाय (८५) याद दिलाना-सार (६४) झर, लघु करना-लहुअ (८५) झूर, भर, भल, लढ, विम्हर, लज्जा करना-जीह, लज्ज (१०३) - सुमर,पयर, पम्हुह (१०२) लज्जित होना-हिरि (६१) युक्त करना-पउंज (६७) लटकना--आयल्ल (४२) पयल्ल युद्ध करना-जुज्झ (8) (१०१) योग्य होना- अच्च (३५) लडाई करना-जुज्झ (६) लपेटना- परिआल (३८) वेढ (४०) संवेल्ल (६४) रंगना-रंग (८) लांघना-लंघ (८४) रक्षण करना (अच्छी तरह)- लाना--आहर (६६) सारक्ख (६४) लिप्सा करना-लिच्छ (८५) रक्षा करना-रक्ख (२९) लीन होना-अल्लीअ (१०१) रखना (स्थापन करना)-थक्कव (५४) लीपना-खरड (४८) लिप (८५) रगडना--घरस (१७) घस (५०) लुंचन करना-लुंच (८६) रमना-रम (३२) लुढकना-लुढ (८६) रहना-णिवस (१३) पज्जोसव लूटना-लूड (८६) (७१) आवास (६८) ले जाना—णी, णे (६) रांधना-रंध (८२) लेट जाना (लेटना) निवज्ज (१६) रीझना-रिज्झ (२३) ____लोट्ट (८७) रुई धुनना-पिंज (३७) लेना-देखो ग्रहण करना रुकना-खल (४८) थम्भ (५४) लेप करना-लिप्प (२६) आलिंप रूसना-आरूस (४४) (४४) लिप (८५) देखो, रेखा करना-विलिह (६१) लीपना रोकना-संवर (६४) वाह (५२) लोप करना-तिरोह (५८) लुंप पडिबंध (७६) रुंध (८३) वार (८६) लोव (८७) (६०) उत्थङघ (१०४) लोभ करना-लुभ (८६) संभाव, रोना--तिप्प (३०) रुव (३३) लुब्भ (१०५) __ आरस (४३) आरड (४६) रुम लौटकर आ पडना-पच्चापड (७०) (८३) वंदन करना-पणिवय (८०) लगना-लग्ग (८४) वमन करना-वम (८८) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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