Book Title: Prakrit Vakyarachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 595
________________ प्राकृत वाक्यरचना बोष पास जाना-उवे (२६) पोतना-आलिप (४४) खरड पिघलना-विरा, विलिज्ज (१०१) (४८) पिलाना-देखो, पान कराना पोषण करना-बिह (३६) भर पीछे लौटना–पडिइ (७३) पीछे हटना-पच्चोसक्क (७०) प्रकट करना-पागड (३७) __पडिक्कम (७४) प्रकर्ष से जानना-पण्णा (८०) पीटना-ताल (२६) पिट्ट (३०) । प्रकाशित करना-पज्जोय (७३) ___ ताड (५३) प्रक्षालन करना--पक्खाल (२३) पीडना-पील, पीड (२७) आवील प्रगट होना-आविहव (३८) विअड (६४) आवीड (६८) (५०) पीडा करना-बाह (३७) वह (८६) प्रगल्भता करना-धरिस (६६) पीना-पिव (६) घोट्ट (५१) आवा प्रज्ञापित करना-पन्नव (१५) आविअ (६८) प्रणाम करना—पणम (१०) वंद पिज्ज, डल, पट्ट, पिअ (१००) (८७) पीलना-देखा पीडना प्रतिघात करना--पडिहण (३८) पीसना-पीस (८) रुच (दे०) प्रतिज्ञा करना-पडिन्नव (७५) (८३) णिवह, णिरिणास, पडिसव (७८) पडिसुण (७६) णिरिणज्ज रोञ्च, चड्ड प्रतिध्वनि करना--पडिरू (७७) - (१०६) प्रतिपादन करना—पडिवाअ (७५) पुनर्जीवित होना-पडिउस्सस (७३) पडिवाय (७६) वागर (८६) पुष्ट होना-पोस (३७) बूंह प्रतीक्षा करना—पडिक्ख (७४) (६२) सामय, विहीर, विरमाल पूछना--पडिपुच्छ (७५) पुच्छ (१०७) (१०३) प्रतीति कराना-पच्चाय (७०) पूजना (पूजा करना)-अरिह (८) प्रद्वेष करना--पओस (६७) पूज, पूअ (२६) अंच, अच्च प्रपीडन करना-पवील (६४) (३४) प्रमाद करना-पमाय (११) पूरा करना-समाण, समाव (१०५) प्रमुक्त होना--पमुच्च (२६) अग्घाड, अग्घव, उधुम, अङगुम प्रयत्न करना-पयय (३१) ववस अहिरेम, पूर (१०६) (८६) मल, संघड (१०३) पैदा करना-जा, जम्म (१०४) प्रयत्न होना-पक्कम (६८) पोंछना-लूह (१५) फुस (६१) प्रयाण करना-पया (६०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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