Book Title: Prakrit Vakyarachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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५७६
दुःखित होना - दूभ (५६) दुःखी होना - परितप्प (३०)
दुहना --- दुह ( ५६ )
दूरवर्ती मालूम होना - दुराय (५६)
देखना - पास (६) दिक्ख (३६)
विअक्ख (४९) दक्ख (५६) देह (५६) लोम ( ८६ ) आलोअ ( १७ ) णिज्झा (१००) णिअच्छ, पेच्छ, अवयच्छ, अवयज्झ, वज्ज, सव्वव, देक्ख, ओअक्ख, अवक्ख, अवअक्ख, पुलोअ, पुलअ, निअ, अवआस (१०६ ) देना - दा ( ८ ) तिप्प (३०) आयाम (४३) दय (५७) दियाव (५८)
दौडना - घाव ( ६ ) धा (६६) द्वेष करना - दुस्स (५८) पदूस (६०)
द्रोह करना - दुह, दोह ( ५६ )
धारण करना--- मल (१८), भर
(६३) धर, धा (६६ ) धिक्कारना— कुच्छ (४६) धूसरित होना - गुंठ (४६) धोना - ध्रुव (६६)
ध्यान करना - धा (६६) पणिहा (८०) संभाअ (६६) झाभ (१००)
प्राकृत वाक्यरचना बोध
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ध्यान पूर्वक देखना - आभोय (१८)
नमस्कार करना--- - णम, नम (३२) नमाना - पणाम ( 50 ) नष्ट होना — खअ (४७) भंस (६३) घंस (६५)
नाचना - पणच्च ( 50 ) लास (८५)
नाश करना -पणास (८०) निकलना - पवह ( ११ ) नीहर
( २३ ) निक्कस (३४) निकालना - णीसारय (१६) निगलना - गस ( ४९ ) घिस (१०७) निग्रह करना - दम ( ३९ )
थ
धमनी चलाना (जोर से ) — उद्घमा निन्दा करना - कुच्छ ( ४६ ) खिस
(१००)
(४८)
धसना - धस (६६) ढंस, विवट्ट (१०४)
निपजना --- निवज्ज ( ११ ) निभाना – पडिजागर (७४) निमंत्रण देना - निमंत ( २१ )
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नकल करना - अणुकर (३४)
नमन करना - नव (४०) पणिवय ( 50 )
नमना ( भार से ) — णिसुढ, णव (१०५)
नियंत्रण करना - गुड (४६) निरीक्षण करना - पच्चुवेक्ख ( ७१ )
पडिलेह (७७)
निर्णय करना - रोअ ( ८४) निर्माण करना -
(१२)
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-रय (८३) सिर
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