Book Title: Prakrit Vakyarachna Bodh
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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परिशिष्ट ५
पान बेचने वाली — डोंगिली (दे० ) पुत्रवती - पुत्तवई फूल बिनने वाली - अंबोच्ची बच्चों को खेल कूद कराने वालीकिडुविया
बडे पेट वाली - दीहोअरी
ब्राह्मणी-बंभणी
मनुष्य की स्त्री - माणुसी मोटी स्त्री-पीवरी
युवती -- जुबई
राक्षसी -- रक्खसी, पिसल्ली लुहारिनी- लोहआरी वन्ध्या - अवियाउरी
वृत्ति लिखने वाली - वृत्तिगारी वेश्या – पणसुंदरी
शीघ्र प्रसव वाली -- अणुसूआ सुन्दरी - सुन्दरी
सुनारिन - सुवण्णआरी 'सूत्र बनाने वाली -- सुत्तगारी सेठानी — सेट्टिणी
स्पर्शवर्ग ( पाठ ८३)
कठोर - कक्कस (वि.)
कोमल. - मउय (वि) गरम -- उसिण (वि)
चिकना -- णि
ठंडा--सीय (वि)
न भारी न हल्का - अगरुलहु (वि)
भारी- - गरुय (वि)
रूखा - लुक्ख (वि) शीतोष्ण-सीउण्हं
हल्का -- लहुय (वि)
स्फुट अंकुर - अंकुरो (६१)
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अंगारा --- इंगारी, अंगारो (१६) अज्ञात - अमुणिअ (१००) अंडा - अण्ड (१०५) अधिक चर्बी वाला - पमेइलो (६३) अनवसर — अवरिक्क (१८) अनार्य देश -- पच्चतो (१०६) अनुयायी - अणुममिर (वि) (१०३) अपक्व - आमो (४३)
अपना घर—–णियहिं (९) अपराधी - अवराहिल्लो ( ५० ) अपशकुन --- अवसरणं ( १०३ ) अभाव - अहावो, अभावो ( ७२ ) अभिषेक - अभिसे, अभिसेगो (६०) अलं-- अलाहि (१०८) अल्प-- अप्पं (१०१) असंतोष असंतोसो (१०५) असमर्थ --- असंथड (वि) (६८) अस्थि - अत्थि (न) (४७) आकाश--- आयासं, (५७) आकृति --- आकिई, आगई (४०) आज्ञाकारी - आणाइत्त (वि) (१०४ )
- अजत्ता (१३)
आजकल ---
आधा कर्म दोष से युक्त आहाकड (वि) ( ११ )
आरोप - अलग्गं (६.८ )
आर्द्र-अहं (६४)
--
आराम -- सुहं ( १०१ ) आवाज -- झुणि (पुं) (१०१)
५६१
आशा - (आसा ) ( १०६) आश्चर्य - - अब्भुयं ( ह८) आयुर्वेद - आउव्वेयोः (६४) आशीष - आसिसा (८)
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