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प्रयोग वाक्य
मोहणी गंडमालाए पीडिओ अत्थि । अणेगेसुं जणेसु अज्जत्ता कोढो दिसइ | सुसीला अवमारेण पीडिया आसि परं मंतजवेण रोगरहिया जाओ । सउणदिट्ठीए काणियं असुहं अस्थि । मूयस्स सई अहिया भवइ । समये -समये अणेगे जणा सूणिअस्स परिणामं अणुभवंति । मुणी संगीओ तीसवरिसपुव्वं गिलासणीए वसीभूओ आसि । वेवयस्स तिष्णि कारणाणि संति । दक्खिणदेसस्स एगभागे सिलिवइपीडिआ अणेगे जणा संति । जत्थ अजाओ राओ सति तत्थ रायसिस रोगी चिट्ठइ, सयइ वा । उदरं जया भवइ तथा रोगिस्स अवत्था दंसणी भवइ । जुज्झे सो कुणिओ जाओ । अरसो वायजणिओ य भवइ । पीढसप्पिणी रोगी अज्जत्ता साहणपओएण चलइ धावइ य । अवहेडगे सीसस्स अद्धभागो दुक्खइ । रायचंदस्स पुब्वं पिट्टिगंठी आसि । सीयकाले साहृणो, साहुणीओ य पायफोडेण पीडं अणुभवंति । रमेसस्स बालत्तम्मि सघायो आसि । कालुगणिस्स एगा फुडिआ वि पाणघाया जाओ । जलोयरं कस्स मुणिस्स अस्थि ? धातु प्रयोग
प्राकृत वाक्यरचना बोध
विहारकाले मग्गस्स संका भवेज्ज तया पुच्छित्ता रोअए । जत्थ अक्कं aas तत्थ अंब न रोहइ । तुमं गहणार्डावि कया लंघिस्ससि ? सो तुमं कहं लंछइ ? जइ तुमं अज्ज पएसे पत्थाणं करिहिसि तया पउरं धणं लंभिहिसि भिहिसि वा । अहं तुं सम्मं लक्खामि । साहुसंगेण धम्मस्स रंगो लग्गइ । सा अत्य आगमिउ लज्जइ । सा विज्जं लभिहिइ । तुज्झ किवाए अहं ललामि । उत्तम सिक्खा जत्थ कत्थावि मिलेज्ज लयणिज्जा ।
प्राकृत में अनुवाद करो
हमारे गांव में किसी के ग्रीवाफूलन रोग नहीं है । एक व्यक्ति ने साधारण दवा से अपना कोढ मिटाया । सीता पागल कैसे हो गई ? काणा व्यक्ति हृदय से स्वच्छ नहीं होता है । बुढापे में कूबडापन होना आवश्यक नहीं है । गूंगापन किस कर्म के उदय से होता है ? शोथ से व्यक्ति मोटा दिखाई देता है । भस्मरोग में मनुष्य जितना भी खाता है सब भस्म हो जाता है । क्रोध से अथवा मैथुन से अथवा बीमारी से शरीर में कंपनवाय होता है । मरुभूमि में हाथीपगा देखने को कम लोग मिलते हैं । राजयक्ष्मा (टी. वी. ) रोग संक्रामक होता है ( संकामइ ) । उदररोग भयंकर होता है । हाथ कटा हुआ मनुष्य परवश हो जाता है । आजकल बवासीर की चिकित्सा बहुत सरल है । उसके किस कारण से लंगडापन हुआ ? आंधासीसी रोग की चिकित्सा मैं जानता हूं । उदरग्रन्थि रोग की क्या चिकित्सा है ? जिसके पैर में ब्याऊ नहीं फटती, वह दूसरों की पीडा क्या जानता है ? गंजापन से चेहरे की सुंदरता
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