Book Title: Prachin Gurjar Kavyasangraha
Author(s): C D Dalal
Publisher: Central Library

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Page 109
________________ १०० प्राचीनगूर्जरकाव्यसङ्ग्रहः । ५९ लोकव्यवहार ६० वशीकरण ६१ वारितरण ६२ प्रश्नप्रहेलिकाज्ञान ६३ धर्मध्यान ६४ ए कहीयां सर्वकलाविज्ञान, जाणइ सकल शास्त्र वषाणइ चउसट्ठि विज्ञान | इति श्रीअञ्चलगच्छे श्रीमाणिक्यसुन्दर सूरिविरचिते श्री पृथ्वी चन्द्रचरित्रे वाग्विलासे प्रथमोल्लासः । द्वितीयोल्लासः हिव ते कुमरि, चडी यौवनभरि; परिवरी परिकरि, क्रीडा करइ नवनवी परि । इसिई अवसरि आविउ आषाढ, इतरगुणि संवाढ; काटइयइ लोह, घामतण निरोह, छासि पाटी, पाणी वीयाइ माटी; विस्तरिउ वर्षाकाल, जे पंथीतणउ काल, नाठउ दुकाल । जीणि वर्षाकालि मधुरध्वनि मेह गाजर, दुर्भिक्षतणा भय भाजइ, जाणे सुभिक्षभूपति आवतां जयढक्का वाजइ; चिहुँ दिसि बीज झलहलइ, पंथी घरभणी पुलइ; विपरीत आकाश, चंद्रसूर्य पारियास; राति अंधारी, लवई तिमिरी; उत्तरनउ ऊनयण, छायउ गयण; दिसि घोर, नाचई मोर; सधर, वरसइ धाराधर; पाणीतणा प्रवाह पहलई, वाडिऊपर वेला वलई, चीषलि चालतां शकट स्खलई, लोकतणां मन धर्म्मपरि वलई; नदी महापूरि आवई, पृथ्वीपीठ प्लावई; नवां किसलय गहगहईं, वल्लीवितान लहलहई; कुटुंबीलोक माचइ, महात्मा बइठां पुस्तक वाच; पर्वततउ नीझरण विछूटई, भरियां सरोवर फूटह । इसिह वर्षाकालि राजा सोमदेवतणउं कराविडं सरोवर भराणुं, समुद्रसमाण; वधावणीउ धायउ, राजाकन्हइ आयउ; राजा मनि गहगहतउ, सरोवर जोइवा पुहुतउ; दीठउं भरिडं सरोवर, ऊपनउ आनंदभर; जोसी तेडी महोत्सवतणुं मुहूर्त्त araj, अभीष्ट जनरहई तेडउं कीधउं; इसिउं करतां आविउ आसो मास, दिसि सप्रकास; कमलवन उल्लास, हंसतणु विलास; कादव सुकई, नइ निरर्गलपणउं मूकइं; विकसई कुसमकली, परमेश्वर सर्वज्ञ पूजतां पूजइ मनतणी रली; तिसिइ आसोसुदि पंचमीतणइ दिवसि मोटर आडंबर नरेश्वर सरोवरतणी पालि पुहुता, धजपट दीसइ लहलहता । तिसिइ समई अनेक ब्राह्मण मिलिया । कवण कवण | दुवे त्रिवाडी व्यास पाठक देवाईत मोषाईत सराईत चंद्राईत देवशर्म मोषशम्म यज्ञशर्म Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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