Book Title: Prachin Gurjar Kavyasangraha
Author(s): C D Dalal
Publisher: Central Library

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Page 170
________________ पेथडरासः २९ वावीय वित्त तिहि सयलसिद्धिक्षेत्रे जन्मफल लेउ जो बहुधणवंतइं रूपावटी चलीय पीयाणए । वडउ संघातिपति लोक वखाणए सेलडीया संघ पहत तहि चलयउ अखंड पीआणए । जाइ अमरेलीयपीयाणए पहतउ वेगि तहिं पण विक्रीयाणए विसमगिरि लं घीयउ पूरि मनि आसह ॥ तेजलपुरि अंगणि दीन्हा वास उग्रसेनमंदिरु दीठ पगार अयनरकवि भणइं गढवि खइंगार । गरूअउ दीसए पोलिपगार नरपम नरसीअ नरआधार ॥ मंडलकि मंडिउ वास तहिं विसमए सुरठ वडदेस ... लोक तहि निवसयए । गिरि गुरूउ गिरनार स पसिद्धउ ता लहि दमोदरो देय प्रसिद्धउ वहि सोवन रेख नदी जलपूरीय । कालमेघो क्षेत्रपाल गिरिपाहरी मंत्रिबाहड देवि पाज करावीय धवलीय वर परव तीण करावीय । विसम डूंगर गुरूउ गिरनारो चडीय नेमिकुमरि लीयउ संजमभारो दिनि चउपनि वरनाण ऊपजइए जगतिगुरु जिणिह वर तसु सिहरे सिज्झए । सीधु सामी सामलउ तसु सिहरि संघ पहूतउ ऊलट आंगिहिं अतिघणउ देषीउ राजलकंत ! तहि नाचिनए ए सहिलडी ए लला गीय गिरिनारे राजलिवर रुलिआमणउ सामलडउ संसारो । तहिं नाचिनए०॥ अंग पखालि सुगयंदमइ ए जल पहरीय धोति प्रवीत । इंद्रमहोत्सव आयरंभी तहिं बयठ लि बहुधणवंत । तहिं नाचिनए सहि०॥ इंद्रमालउच्छाह करी जो वेवीय विभव नीयाणि । सफलमणोरह पूरीय संघपति चडीयलि इन्द्रविमानि ॥ तहिं नाचिनए० ॥ चमरधारि सरतारसवंगी गावंती बहु आसीस। सामलसाषि किरि संघपति नंदउ बहत वरीस ॥ तहिं नाचिनए०॥ गयंदमइ ए नीरि कलस जलभरीय लि कपूरिहिं भंगी महापूज अहिसीम । नय कलीय लि आरती ऊतारउ मंगलिक संघपति ईम ॥ तहिं ना० ॥ अंबिकि आस मणोरह पूरी अवलोईय जगन्नाथ सांबपजून जुहारीय वलीयउ पेथ जन्म सुकीयाथ ॥ तहिं नासहलली ए रुली या गई गिरिनारि ॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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