Book Title: Prachin Gurjar Kavyasangraha
Author(s): C D Dalal
Publisher: Central Library
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१०४
प्राचीनगूर्जरकाव्यसङ्ग्रहः आसणि सूधा; हसमंत हयषारवि अंबर बधिर करता। सरवीर साहसिक कालूआ किरडिया किहाडा नीलडा सेराहा कविला धूसरा मांकडा दोरीया बोरीया द्वादशावर्त्तव्यंजनगुणि शोभित शालिहोत्रशास्त्रप्रणीतलक्षणलक्षित । ससई धसई, साटि पइसई, जुडई, दउडई। जिस्या सूर्यतणा रथ छूटा हुई तिस्या अनेक तुरंगम सांचरिया । तउ पायक पहटिया । किस्या ते पायक । सूरवीर विक्रांत दुर्दीत षङ्ग घेडे लीधे श्रमई, वयरीरहई आक्रमइं; पवनवेगि पुलिई, योधस्युं जुडई, सेल्ल कुंत तोमर ताकई, वयरीरहई हाकइं; वेला लामी, न मेल्हई स्वामी; नवनवां आयुध लिई, एक वार आकाश पडतां घाढ दिइ । किहांई न दीसइ थाका, जीह लगइ हुइ जयपताका; जे धाई पुलई ऊच्छलई । इस्या पायकनी मिली कोडि, जीह माहि नहीं षोडि । हिव रथ विस्तरिया । किस्या ते रथ । चपलतुरंगमजूता, सुखिई सुभट चालई माहि बइठा सूता; छत्रीसे दंडायुधे भरिया, वायुवेगि सांचरिया; धडहडाटि धरामंडल धंधोलई, रजमाहि रविबिंब रोलई; ऊपरि धज लहलहई, जाणे देवसंबंधीयां विमान गहगहइं; घांट वाजई, वयरी भाजइं; मूर्तिवंता जिस्या मनोरथ, इस्या अनेक सांचरिया रथ । ईणिपरि चतुरंग दल चालतां हूतां नरेश्वररहइं वाटइं अनेक ग्राम नगर आवई, लोक नवनवां भेटणां नीपजावइ । मार्गि जातां आवी एक अटवी।
हिव ते किसीपरि वर्णविवी । जेह अटवीमाहि तमाल ताल हंताल मालूर खजूर अर्जुन चंदन चंपक बकुल विचिकिल सहकार कांचनार जांबू जंबीर वानीर कणवीर कीर केलि कदंब निंब नारिंग नालीयरि द्राष दाडिमी देवदारु अंकुल्ल कंकिल्लि नाग पुन्नागवल्ली यूथिका मालती माधवी जपा मरुबक दमनक पारधि केतकी मुचकुंद कुंद मंदार तगर सेवत्री राजगिरि सिरीषां सींबलि सिरघू सीसमि साग टींडूसार आक आकमंदार कपित्थ बील बहिडां करण वरण धव षदिर पलाश वड वेडस पीपल पीपरि ऊंवर कठंबड धाहुडी धामण पीप जड पीरणी कइर करंज बाउल बीजुरी आमली आंबिली बोरि इंगोरि गोरडीयाप्रमुख वृक्षावली दीसइं, बीहंतां सूर्यतणां किरण माहि न पइसई । अनई किहांई सिवातणा फेत्कार, घूकतणा घूत्कार; व्याघ्रतणा घुरहराट, न लाभई वाट नइ घाट; माहि वानरपरंपरा उछलइ, मदोन्मत्त गजेंद्र गुलगलई; सिंहनाद्भयभीत मयगल पलभलई । जिस्या दविं दाधा षील, तिस्या भील। सूअर घुरकइं, चीत्रा बुरकइं; वेताल किलकिलई, दावानल प्रज्वलई; रीछ सांचरई, विरुतणा यूथ विचरई । इसी महारौद्र अटवी ।
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