Book Title: Prachin Ardhamagadhi ki Khoj me Author(s): K R Chandra Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad View full book textPage 8
________________ सेठ श्री कस्तूरभाई लालभाई (१८९४-१९८०) सेठ श्री कस्तूरभाई लालभाई के जीवन काल का विस्तार उन्नीसवीं शती के अंतिम दशक से लेकर बीसवीं शती के आठ दशकों तक रहा । गुजरात के श्रेष्ठी-वर्ग की परम्परा के अंतिम स्तम्भ के रूप में उन्होंने न्याय-नीति एवं प्रामाणिकता के साथ अपने व्यावसायिक आदर्शों का निर्वाह किया था । औद्योगिक क्षेत्र में वे आधुनीकरण की प्राण-प्रतिष्ठा करने वाले एवं युगप्रवर्तक माने जाते हैं । कला एवं शिक्षा के क्षेत्र में भी उनकी दृष्टि प्रगतिशील रही । व्यवसाय के क्षेत्र में भी निजी लाभ की अपेक्षा राष्ट्र-हित की भावना ही उनमें प्रमुख रही। भारत के गिने-चुने उद्योगपतियों में उन्होंने प्रशंसनीय स्थान प्राप्त किया था । विदेशी कम्पनियों के सहयोग से उन्होंने भारत में रासायनिक रंगों का उत्पादन प्रारम्भ किया और अपनी अनोखी सूझ-बूझ से वे भारतीय अर्थनीति के आधार-स्तंभ बने । अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अनेक विकट आर्थिक और व्यावसायिक समस्याओं को सुलझाने में उनकी विवेकबुद्धि को अद्भुत सफलता मिली । विश्व के वस्त्र उद्योग के इतिहास में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाने योग्य है । अपने उद्योग-संकुल के किसी भी व्यक्ति के सुख-दुख के प्रत्येक प्रसंग में उसकी पूरी मदद करते थे । यह उनके व्यक्तित्व की उदारता और मानवीय गुणों की विशेषता थी । उनका जन्म १९ दिसम्बर १८९४ को अहमदाबाद में सेठ श्री लालभाई दलपतभाई के घर हुआ जो सुशिक्षित, संस्कार-सम्पन्न और Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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