Book Title: Piyush Ghat
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 6
________________ साहित्य और जैन साहित्य में भी पर्याप्त कथाएँ हैं। जैन साहित्योदधि से एक नहीं अनेकों घट भर कर रखे जा सकते हैं। परन्तु सम्प्रति यह छोटा घट ही प्रस्तुत है। 'कहानी की कहानी' कहते हुए यहाँ यह कह देना आवश्यक प्रतीत होता है, कि टीकाओं, चूणियों, भाष्यों, नियुक्तियों एवं आगम उदधि से एक-एक बूंद लेकर यह 'पीयूष घट' भरा है। यह घट कितनी शीघ्रता में भर गया! यह मत पूछिये ! मेरे परम स्नेही मुनि कन्हैयालाल जी 'कमल' ने मुझे बार-बार उकसाउकसा कर, प्रोत्साहित कर-कर-कहानियाँ लिखने को वाद्य किया था। उन्होंने कहानियाँ लिखवाना प्रारम्भ करवाई और फिर इन्हें सराही भी खूब ही। मैं समझता रहा, कहानी लिखवाने के लिए ही मुझे और मेरी कहानियों को सराह रहे हैं। परन्तु जब आगम साहित्य के प्रकाण्ड विद्वान पं० श्री बेचरदास जी दोशी एवं दार्शनिक, विद्वान पं० श्री दलसुख भाई मालवाड़िया तथा 'जैन दर्शन' जैसे ठोस ग्रन्थ के अकेले एक लेखक डा० श्री मोहनलालजी मेहता, इन्द्र प्रस्थीय डा० इन्द्रचन्द्र जी पी० एच० डी० ने व विश्व धर्म और विश्व मानव के अमर गायक और प्रेरक मुनि श्री सुशील कुमार जी आदि विद्वानों ने इन कहानियों को पसन्द किया और अधिकाधिक लिखने के लिए उत्प्रेरित किया तो मैं समझा, कहानियाँ कुछ काम की ही साबित होंगी। जब मुझे कहानो और रूपक भी लिखने में रस आया तो वे दिन याद हैं-भूख प्यास सब भाग गई थो, आठ-आठ घन्टे जम कर बैठता था तब लेखनी निरन्तर आगे-ही-आगे चलती रहती थीकागज के चिथड़ों पर सर पट ! __ कहानी लिखने में जब-जब मेरी गति धीमी पड़ी तब-तब मुनि मधुकर जी की मधुर प्रेरणा तथा मेरे अभिन्न हृदय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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