Book Title: Piyush Ghat
Author(s): Vijaymuni Shastri
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 5
________________ बालकों में कहानी के प्रति आकर्षण होता है इसका अर्थ तो यह हुआ कि वह बच्चों के ही मतलब की चीज है- ऐसी बात नहीं। बच्चों की स्वच्छ कोमल भावना का कथा गत पात्रों से तादात्य भाव, शीघ्र हो जाता है। वे अपना भस्तित्व भुलाकर कथा मय या पात्र मय हो जाते हैं। अतः कहानी का उल्लेख करते समय कहानी के प्रति उनकी रुचि का उल्लेख करना आवश्यक है । बादल जब उमड़ घुमड़ कर आते हैं तो वसुन्धरा की गोद हरी तिमा से भर जाते हैं और जव भावों के मेव उमड़ घुमड़ कर आते हैं तो कहानी-कला के अनूठे शिल्प द्वारा हृदय पर स्थायी प्रभाव डालने वाले चित्रों में प्राणों का संचार कर जाते हैं। मानव में संवेदनशीलता शास्वत भाव हैं। वह जब कहानो पढ़ता या सूनता है तो कथागत पात्र के सुख-दु.ख में अपने आपको साझीदार समझने लगता है । अतः कहानी गत पात्रों के घात प्रतिघातों से पाठक का दिली लगाव हो जाता है-अज्ञात भावेन ही। वह अनुभव करने लगता है कि यह सुख-दुख मुझे ही हो रहा है। मनुष्य ऐसा अनुभव इसीलिए करता है, कि मानव वेदना की सनातन अभिव्यक्ति कहानी के कण-कण में रमी रहती है। वैसे बड़े-बड़े मत प्रवर्तकों ने भी कहानी, रूपक, दृष्टान्त एवं उदाहरणों द्वारा धार्मिक भावनाओं का जन मानस पर स्थायी प्रभाव डाला है, बहत सम्भव है कि दर्शन शास्त्र की शुष्क बातों से वह न पड़ा हो। बौद्ध साहित्य की "जातक" कथाओं की ६ जिल्दों में बुद्ध के पूर्व भवों की झांको है । इसी प्रकार वैदिक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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