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अम्य (१०३)-हमारी।
अळगौ (५२, ७०)- दूर, पृथक । अम्हा (१६) हमरे, मेरे । अलज (९८)-लज्जापहरण । अम्हाना (७)हमको। । अला (१०, १०३)-ईश्वर,अल्लाह। अम्हारा (६५)-मेरा, हमारा। | अलाह (३, ७, ७४, ९५, ६६)अम्हारै (७)-हमारे।
ईश्वर, परमात्मा, सुदा । अयाण (६६, ७०)-अज्ञानी, अल्पज्ञ, । अलेख (७, ३४, ३६, ६६)-अलक्ष्य, अज्ञ।
अपार । अयिरल (३४)-वारा-प्रवाह। अलोक (५०)-१ जो दिखाई न पडे, अरक (४३, ५२)-सूर्य, अर्क।
२. वह स्थान जहां कोई अरजां (३१)-पुकार प्रार्थनाएं।
आदमी न हो, ३. ऐसा जीव अरण (६१)-(स० अरण्य), जंगल,
जो मरने के वाद अन्य किसी सन्यासियो का एक भेद ।
लोक मे न जाय, ४. मनुष्यो अरथ (३५, ३८)-अर्थ ।
का प्रभाव । अरदास (१५, ८७)-प्रार्थना, अर्ज- अल्ला (८६)-ईश्वर । दाश्त ।
| अवतार (३६, ४२)-विष्णु का संसार अरसु (२६)-ढीला पडना या करना मे शरीर धारण करना अथवा देरी लगना।
पुराणानुसार किसी देव विशेष अरि (३६, ६२)-शत्रु।
का मनुष्य शरीर धारण अरिजण (५, ३४, ४४, ६२, ६८, करना।
७१, ६७ )-अर्जुन। अवतरियो (६३)-अवतार लिया। अरिहंत (४)-वीतराग, जिन । अवदाळ (१७)-देखो-'अवदाळ'
(३३)-ईश्वर, अरिघ्न, | अवर (३६)-अपर, अन्य ।
शत्रुविनाशक। अवरण (४९)-वर्ण या रग रहित ।
(४६) अर्हत् (भगवान जैन) अवरन (७, २७)—वह जिसका कोई अरेल (४६)-नही जीता जा सकने रग न हो, अवर्ण । वाला । अजित
अवल (६२) सर्वश्रेष्ठ, प्रधान, मुख्य, अलख (२३)-अलक्ष्य, ईश्वर ।
अव्वल । अळगा (५३)- दूर।
| अवलौ (४१)-वाकुरा।