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भद्र कुंअरि (६३) केकयराज की । भाजि (३७, ३६) नाश करके, टूट भद्राकुमारी कन्या जो कि
कर, नष्ट होकर । कृष्ण को व्याही गई थी। माजियो (५५)-तोड़ डाला। भमतो (७५)-भ्रमण करता हुआ। भाजिही (१०२)-पहार करोगे, ध्वंस भरत (९२, ६८)-राम भ्राता भरत,
करोगे। भरथ (६, २१, ३६, ५५, ५६, ५७,
भाज (३४, ४२) नाग करता है,
तोडता है। ६५, ७२, ८१, ६४)-राम भ्राता
भाड (९०)-विदुषक, निंदा करने भरत, कैकयी पुत्र भरत।
वाला। भरथ रा (६५)-भरत का। भामणा (८०)-बलैया भरथु (२९)-भरत
मामिणी (१०१)-भामिनी, पत्नी । भरहरा (७७)-१. नरो मे श्रेष्ठ, / भामी (६१, ७२, १०१)-वलैया, २. नृसिंह ।
न्यौछावर। भला (५.१, ८३)-ठीक, उत्तम,
भाइ (२०)-पसद सज्जन।
भाइयो (२)-भाई, भ्राता । भली (५६)–उत्तम, श्रेष्ठ, ठीक ।।
भाईया (१०२)-१ भाई वधु, (सवोधन)
२ दीनवधु। भले (९७) यहाँ पर यह शब्द केवल भाखा (३८)-कहे।
सम्बोधनार्थ प्रयोग किया | भाखि (४२)-कहकर गया है।
| भाखीज (४३) कहिए, कहा जाता भलेरा (१२) श्रोष्ठतर
भाखी (७३)-कही भलेरी (२) वढिया, श्रष्ठतर ।
भागिवत (३८) श्रीमद्भागवद् भळे (et)-और, फिर ।
भागी (२०)- पसद आने वाली । भळे ()-भला, उत्तम, ठीक ।
भामणा (३६)-वलया, न्योछावर भलो (४८, ६०,६१)-ठीक, वढिया,
भारथ (८६, १००)---युद्ध । श्रेष्ठ उत्तम, भला, सनन ।
भारथी (१७)-दशनामी सन्यासियो भवस (३५)-भविष्य
की एक शाखा या इस भहरी (२२)-भरपूर
शाखा का व्यक्ति, भाजण (७६)-मिटाने वाला।
भारती।