Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 224
________________ [ ७२ ] रेणी (३२)रेसइ (६) पराजित किया। लक्षण (६२)-राम भ्राता रेसण (१००)—पराजित करने वाला, | लखरण (९७) लक्षण पराजित करने की। लखमण (५७)-लक्ष्मण रेसीया (२६)-पराजित किये। लखमण (६, ३६, ३६.५६,७१,८१)रेस (७०)-मिटाता है, नष्ट करता राम भ्राता लक्ष्मण । है, पराजित करता है। लखमणा (६३)-भद्रदेश के राजा वृहत्सेन की पुत्री जो कृष्ण के ₹ (१७, ३५, ३६, ३६, ४१, ४६, साथ व्याही गई थी। ४७, ५४, ५५, ५६, ६४, ८६, | लखमी (६४) लक्ष्मी ८७, ६०, ६५) के लखिग्री (२३)-समझा जाना रैण (२१, ५२)-भूमि, पृथ्वी। लच्छिवर (४२) लक्ष्मीपति, विष्णु। रेवती-रमरण (५७ सं० रेवती रमण) लछिवर (२६,४३, ७२)-लक्ष्मीपति, रेवत राजा की पुत्री विष्णु। रेवती जो वलराम की | लछी-प्राण (७) लक्ष्मीवल्लभ, विष्णु।. धर्म पली थी। उसके साथ रमण करने वाला | लवरणसुर (५७)-प्रसिद्ध मधुनामक असुर का पुत्र जो मथुरा श्रीवलराम । में रहता था और जिसको रो (२२, ५६, ६५, ६६)का शत्रुधन ने श्रीराम की रोट (१७)-वडी रोटी। आज्ञा से मारा था। रोटियो (८२)-काट डाला, नाश लसकर (९२)-सेना किया। रोपण (४६)- उठाने लगाने या खडा लहड़ा (४५) लघु, छोटा । करने की क्रिया । लहरिणयौ ६९)-लाभ रोम (४३)-लोक लहाँ (४४)-लेता हूँ। रोळ (२)--ध्वस, नाश। लहै (३६, ३६, ४१, ४६) लेता है।। रो (३४, ४१, ४६, ४८, ५२, ६८, | लाइक (३४) योग्य ७४, १२) का लाइकि (१) योग्य

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