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वोम (६०)-व्योम, आकाश ।
सम्बन्ध है । इस सम्बन्ध व्याधि (९३)-एक दानव का नाम,
मे पाच व्यक्तियो के नाम व्याघ।
मिलते है। व्यास (४४, १०३)-वेद-व्यास । सखघर (६८)-विष्णु, ईश्वर । व्रकदत (६३) - बकासुर से अर्थ लिया | मखवर (४२) गया है।
संख-सामि (४३) --शंख को धारण व्रख (५९)-वृक्ष
करने वाला, विष्णु। बनह (४१)-रग, वर्ण । । सखासुर (५६, ५७)-एक दैत्य जो व्रपा (७०) - विप्र
ब्रह्मा के पास से वेद वहमि (७९) ब्रह्मा।
चुराकर ले गया था। विख (३७)-वृक्ष।
और समुद्र के भीतर विदि (१६)---विरुद। ।
छिप गया था। विदि (७८)
सगट (८१)- सकट विप (४३)-विप्र, ब्राह्मण । संगठ ८३)--समूह विसपति (३६)-वृहस्पति
सगठासुर (४, १००)-गकटासुर स
नामक दैत्य जिसको कस सकर (८८)--शकर, विष्णु ।
कृष्ण को मारने के लिए संकरखरण ( )-विष्णु का एक नाम
भेजा था। मख (४२)-शरुर, कुवेर की नौ । सघार (६२)-तहार किए।
निधियो से एक अथवा एक | संघारं (२९)-सहार किए। असुर का नाम ? अथवाविष्णु | सघार (१२, ६८)-मधार करके ।
के चार मुख्य मे से एक । | सघारण (२४)-नहार करने को। नखचूड (६०)-~-एक दैत्य का नाम | संघारे (५७, ८१)-- संहार किये।
जिसको कस ने कृष्ण को | मघार (६२, ६६)-सहार किए । मारने के लिए भेजा था | संघारौ (३०)—सहार कीजिये । और कृष्ण ने उसको मार | संताप (४२) डाला था परन्तु यहां पर सवाहिया (५६)-सम्हाले पौराणिक पाख्यानो से } सवाही (३४)-धारण करिये ।