Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 233
________________ [ ८१ ] संभ (७३) शिव, गम्। सगलाइ (४, सं० सकल Xअपि)संभारे (४५)-स्मरण कर । सवही। मभार (३६, १८)-स्मरण करता है। मगळाई (१५)-सब समरियो (६४) स्मरण किया । । सगरण (६१, ६६, ७८)-सघन, मेघ, समर (१०३) स्मरण करते है। घन । । संमिल (३६) सघार (३५)- महार नंवाहे (५७)- वारण करके । नचेळा (६१) संवाह (४२)--धारण करता है । सजिया (९५) मसार (१००) मनान (४७)-जान सहित, प्रात्म सक (४३)- शक्र, इन्द्र । ज्ञान सहित । सकटासुर (५८)--एक दैत्य जिसको सझा (६०)-दण्ड कंस ने श्रीकृष्ण को | सतगुर (३४)-मदगुरु, श्रेष्ठ गुरु । मारने के लिए भेजा था । सतभामा (३)--श्रीकृष्ण की पाठ और वह स्त्रय श्रीकृष्ण पटरानियो मे से एक द्वारा मारा गला। सत्यभामा । सकतिहर (२१)-शक्ति घर, देवी। | सतरी (२१)-सत्य की मकाज (५४)-लिए सति (४६, ७३)-सत्य, है । सको (३६)~सव सत्रघण (५७)--शत्रुधन सखरा (२, १६, ६५) अप्ठ, उत्तम | सत्रघरण (६, २६, ३६, ६५, ६८, सखरी (८७)-वडिया। ६२)-शत्रुघन सखरो (६८)-श्रेष्ठ । सत्रघन (७२)- शत्रुधन सखरी (३, १०, १३, ५८)-श्रेष्ठ, । सथिरि (१५)-स्थिर उत्तम । सदांम (EE)-सुदामा सगर-राऊ (८२)-अयोध्या के प्रसिद्ध सदामौ (७८)-एक ब्राह्मण का नाम प्रजा रजक एक राजा का जो कृष्ण का सखा था, नाम । सुदामा। सगळा (६८)--सव | सदोमति (१९)

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