Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

View full book text
Previous | Next

Page 234
________________ [ २ ] सधर (५६, ६२)-वीर, शक्तिशाली, | समति (३४)-दे दृढ, मजबूत । समपी (५५)-देदी सघोर (३६)-वीर, योद्धा। समपीज (१)-दीजिए सनकादिखा (५२)-सनकादिक । समपै (६८, ७३, ७९)-देता है। सनेह (३५) स्नेह समपो (२३, ३८, ४४, ७२)-दे सपरस (४)-स्पर्श दीजिये। सपूत (३६). -सपुत्र समरंति (३७)-स्मरण करते हैं। सप्त (२१)सात समरइ (८८)-स्मरण करते हैं । सप्राणा (६५)--शक्तिशाली, वलवान। | समरा (६१)-स्मरण करे । संबंध (३५)-एक साथ बंधना, जुडना। समरासुर (१००)-एक असुर का नाम सवखौ (१०) सहज, सरल । समरि (४१)-स्मरण कर । सवरी (५६)-शवरी, भीलिनी। समरी (३४)- स्मरण करिए । सवळा (४१, ५३, ८०)-बलवान, समस (१५)शक्तिशाली । समाप (१००)-दीजिए सवळा (११, ६७)-सवल, गक्तिशाली। समापरण (५, ६)—देने को। सवळी (२३)-बलवान, शक्तिशाली। समापि (५५)--दीजिए, देकर । सवळी (५०, ६८, ६६, ७०)-महान, समापे (७४)-दीजिए ___ सवल, बडा, शक्तिशाली, समाप (२, ६२, ६३, ७१, ७२)सबाई (१६) देना, देता है, दे दी। सवोज (४४) समापौ (७, ४३, ७५)-दीजिए समंद (४४) समुद्र, सागर । समास (६६)समंद (४५, ८६, ६६)-समुद्र समिदित (७४)समदु (२६)-समुद्र समीपि (४४)-पाच प्रकार की समध (८१)सम्बन्ध मुक्तियो मे से एक प्रकार की समंपी (५५)-दीजिए मुक्ति जिसमे मुक्तिजीव भगवान समति (२३, ७४) सुमति, सुवुद्धि। के समीप पहुँच जाता है, समपण (४४, ९५)-देने को, देने के | सामीप्य । लिए। ममै (७३)-समय सगक्त।

Loading...

Page Navigation
1 ... 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247