Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
View full book text
________________
[
६३
]
.
लिवारि (६५) लेने दे। | विसनो (७३)--विष्णु लिवार (७) लेने देता है . ... वेखूना (१००)-निर्दोपो के । लिवारौ (७५)-लेने दो , चिया (३६)-वेचने मे, वेच दिये। लोधियों (६२)-हैरान किया।
| वेदव्यास (१, ३८)वेदूं (३९) वेद
वेस (२३, ३६)–भैप, रूप । वरतावीने (१२)-प्रदान कीजिये, विदि (७८)-वृद। . . . .
प्रचार कीजिये। ... वरताहि (८५)-फैला दे।
सखवर (४२)-शखबर । । वरत (६०)-प्रसार की जाती है। संताप (४२)-दुख । ' वसारै (७४)-भुला दे।
समिलका (३६)-रानी। वसिजे (२२)-वस जाना, रह जाना।
ससार (१००)-जगत ।
सचेळा (६१)-प्रसन्न, राजी। वह (११)-बहुत । वहि (60) जाकर ।
सजिया (६५) तैयार हुआ। ,
सदोमति (१९)—सदमति देने वाली। वहियो (६३)-'चला
सवाई (१६)-सभी। वहे (६०)-चलता है। " सबोज (४४)-बोध युक्त । वाणि (२४)--वाणी
समस (१५)-एक भक्त का नाम । वाणासुरा (१०३) वाणासुर को। समास (१६)-निरंतर । वाणार (३८)-एक भक्त का नाम । समिदिम (७४)-समदृष्टि से । वाता (३६)-वातें ", ' सरस (४७)-अच्छा । वारिवा (१६)-वारने के लिये।
| सर (४७)-बनाता है।
सवाही (४०)-सभी प्रकार । वारौ (१००)-वारा .. . सहरि (२२)-शहर मे। वाळिया (७९)-लौटा लाये। सहल्या (१०३)-साथ चले।। वाहि दिया (१०३)–फेक दिया। सहिस (६१)--शेष नाग । विणयो (३५)-वना
। सहै (४५) धारण करता है । विवत (२१)-विधाता
साधी (८७)- जोड दी। . विरत्ता (६४)-विरक्त.
साम्हेई (२२), सामने ही।

Page Navigation
1 ... 244 245 246 247