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समी (५, ७९)-ही, समय पर। सरीखा (७८)-समान, सदृश । सर (५३)-तालाव?
सरीखा (३, १७, ३०, ३८, ८१, सरखं (२७) समान
१००)-समान, तुल्य । सरग (१४, २७, ३२, १०१)-स्वर्ग | सरीखी (२१, ६४)-समान सरगा (१०१) स्वर्ग
सरीखें (८८)-समान, सदृश । सरगुण (७)-सगुण
सरीखो (५८)-समान सरजीत (५)-जीवित
सरीखौ (३४, ४४)—समान, सदृश । सरणाईया (८६) - वाद्य विशेष सरीरह (४१)-शरीर सरण (२१)-शरण मे ।
सरूप (३५)-पाच प्रकार की मुक्तियो सरणौ (१०३)- शरण
मे से एक जिसमे उपासक सरव (२२)-शर्व, महादेव ।
अपने उपास्यदेव के रूप मे रहता सरव (३४, ३६)-सर्व, सव' ।
है और अन्त मे उसी उपास्य सरव (४०, ४२, ४४, ५०, ७४)
देव का रूप प्राप्त कर लेता है, शिव, विष्णु, सब ।
सारूप्य। सरव (४०)-सव
सर (४७)सरस (४७)
सलाम (३७)-प्रणाम सरसति (१) सरस्वती
सलामा (६१)-प्रणाम सरसि (४३)-समान, तुल्थ । | सलाह (१८)-राय, लाभ सहित । सरसो (४७)- रसपूर्ण, पूर्ण, पूरा। | सव (४१)—सव सरि (५०)-जैसी, समान ।
सवरी ( ६, ५६, ७८)-शवर जाति सरिखा (१००)-समानो, सदृशो।
की श्रमण नामक एक सरिखा (१६, ८५, २३)-समान | भील तपस्विनी, भीलिनी। सरिखी (३, २२)-समान, तुल्य । सवली (४१)-सीधा, सरल । सरि-ळाईया (५०)-सृजन किए, सृष्टि । सवाडी (८२)-विशेष, अधिक
का उत्पन्न किया जाना। सरिस (२, २६, ७२)—समान, रिस
सवाही (४०)पूर्ण?
ससमाथ (६, ७, १५, १६, २०, २७, सरिसि (५५, ७७, ८५, ६१)-समान
६८, ६५)-समर्थ, शक्ति सरिसी (५२)-समान
गाली, शिव।