Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 235
________________ [ ८३ ] समी (५, ७९)-ही, समय पर। सरीखा (७८)-समान, सदृश । सर (५३)-तालाव? सरीखा (३, १७, ३०, ३८, ८१, सरखं (२७) समान १००)-समान, तुल्य । सरग (१४, २७, ३२, १०१)-स्वर्ग | सरीखी (२१, ६४)-समान सरगा (१०१) स्वर्ग सरीखें (८८)-समान, सदृश । सरगुण (७)-सगुण सरीखो (५८)-समान सरजीत (५)-जीवित सरीखौ (३४, ४४)—समान, सदृश । सरणाईया (८६) - वाद्य विशेष सरीरह (४१)-शरीर सरण (२१)-शरण मे । सरूप (३५)-पाच प्रकार की मुक्तियो सरणौ (१०३)- शरण मे से एक जिसमे उपासक सरव (२२)-शर्व, महादेव । अपने उपास्यदेव के रूप मे रहता सरव (३४, ३६)-सर्व, सव' । है और अन्त मे उसी उपास्य सरव (४०, ४२, ४४, ५०, ७४) देव का रूप प्राप्त कर लेता है, शिव, विष्णु, सब । सारूप्य। सरव (४०)-सव सर (४७)सरस (४७) सलाम (३७)-प्रणाम सरसति (१) सरस्वती सलामा (६१)-प्रणाम सरसि (४३)-समान, तुल्थ । | सलाह (१८)-राय, लाभ सहित । सरसो (४७)- रसपूर्ण, पूर्ण, पूरा। | सव (४१)—सव सरि (५०)-जैसी, समान । सवरी ( ६, ५६, ७८)-शवर जाति सरिखा (१००)-समानो, सदृशो। की श्रमण नामक एक सरिखा (१६, ८५, २३)-समान | भील तपस्विनी, भीलिनी। सरिखी (३, २२)-समान, तुल्य । सवली (४१)-सीधा, सरल । सरि-ळाईया (५०)-सृजन किए, सृष्टि । सवाडी (८२)-विशेष, अधिक का उत्पन्न किया जाना। सरिस (२, २६, ७२)—समान, रिस सवाही (४०)पूर्ण? ससमाथ (६, ७, १५, १६, २०, २७, सरिसि (५५, ७७, ८५, ६१)-समान ६८, ६५)-समर्थ, शक्ति सरिसी (५२)-समान गाली, शिव।

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