Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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सिसपाळ (६३)-चेदि देश का एक | सुघारौ (३३)
प्रसिद्ध राजा जिसको सुन्न (२३)-शुन्य श्रीकृष्ण ने मारा था,
| सुपकना (२६)—सूर्पकर्णा शिशुपाल ।
सुपनसा (६)-रावण की वहिन सिहाई (२२) सहायक
शूर्पणखा । सिहि (१०, २१, ३९)-सव, सर्व, सुप्रसन्न (७४)-- प्रसन्न खुश । पक्की ।
सुभर (१०२)-पूर्ण भरा हुआ। सीत (३६, ४४,५५}-सीता, जानकी सुभराज ( ६, १६, २२, १०१ ;सीता (११, ३२, ५६, ५७, ६३)---
अभिवादन सूचक शब्द राम पत्नी जानकी।
जिसका प्रयोग प्राय.याचक सौळ (२५, ६८)--शील
जातिएं करती हैं। सीलवंत (३६)-गीलवान
सुभिप्राण (१२)--श्रेष्ट सीस (३६)----
सुभियाण (७४) - श्रेष्ठ सीह (६८)--नृसिंहावतार
सुमत्ति (३४)--श्रेष्ठ मति । सुकर (२१, ६५)--शुक्र
सुर-जेठ (४, ३६, १०२, २५, २६, सुकवि (३६)-श्रेष्ठ कवि ।
४६)-ब्रह्मा। सुकीरति (१००)-सुकीति
सुरज्या (६७, ८५)—सूर्या, नवोढा, सुखदेव (३८, १०३)-शुकदेव
नवविवाहिता, सूर्य की पत्नी। सुगरीव (e)-वानरो का राजा, श्री
सुरताण (१८)-सुल्तान रामचन्द्र भगवान का मित्र,
सुरा (३४'-देवतायो सुग्रीव ।
सुरेसुर (४६)-सुर+असुर । सुग्रीव (५६, ६५ ७१, ६३)-वालि | सुविहारण (८)-सुविभात, सवेरा, वानर का छोटा भाई ।
सुप्रभात । सुघर (२३)--श्रेष्ठ घर ।
सुहामणा ( ४४ )—सुहाना, सुन्दर, सुचंग (५०)-श्रेष्ठ
मनोहर। सुजस {७६)-सुयश, कीर्ति । सुहिता (६८, ६०, ६७, १०१)-सुभद्रा सुरणाइ (४५)-सुनाकर
सुहिद्रा (११, ७७)-सुभद्रा सुरिणजो (४१)-सुनिए | सू (२, ६, ३५, ५३) से

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