Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 239
________________ [ ८७ सिसपाळ (६३)-चेदि देश का एक | सुघारौ (३३) प्रसिद्ध राजा जिसको सुन्न (२३)-शुन्य श्रीकृष्ण ने मारा था, | सुपकना (२६)—सूर्पकर्णा शिशुपाल । सुपनसा (६)-रावण की वहिन सिहाई (२२) सहायक शूर्पणखा । सिहि (१०, २१, ३९)-सव, सर्व, सुप्रसन्न (७४)-- प्रसन्न खुश । पक्की । सुभर (१०२)-पूर्ण भरा हुआ। सीत (३६, ४४,५५}-सीता, जानकी सुभराज ( ६, १६, २२, १०१ ;सीता (११, ३२, ५६, ५७, ६३)--- अभिवादन सूचक शब्द राम पत्नी जानकी। जिसका प्रयोग प्राय.याचक सौळ (२५, ६८)--शील जातिएं करती हैं। सीलवंत (३६)-गीलवान सुभिप्राण (१२)--श्रेष्ट सीस (३६)---- सुभियाण (७४) - श्रेष्ठ सीह (६८)--नृसिंहावतार सुमत्ति (३४)--श्रेष्ठ मति । सुकर (२१, ६५)--शुक्र सुर-जेठ (४, ३६, १०२, २५, २६, सुकवि (३६)-श्रेष्ठ कवि । ४६)-ब्रह्मा। सुकीरति (१००)-सुकीति सुरज्या (६७, ८५)—सूर्या, नवोढा, सुखदेव (३८, १०३)-शुकदेव नवविवाहिता, सूर्य की पत्नी। सुगरीव (e)-वानरो का राजा, श्री सुरताण (१८)-सुल्तान रामचन्द्र भगवान का मित्र, सुरा (३४'-देवतायो सुग्रीव । सुरेसुर (४६)-सुर+असुर । सुग्रीव (५६, ६५ ७१, ६३)-वालि | सुविहारण (८)-सुविभात, सवेरा, वानर का छोटा भाई । सुप्रभात । सुघर (२३)--श्रेष्ठ घर । सुहामणा ( ४४ )—सुहाना, सुन्दर, सुचंग (५०)-श्रेष्ठ मनोहर। सुजस {७६)-सुयश, कीर्ति । सुहिता (६८, ६०, ६७, १०१)-सुभद्रा सुरणाइ (४५)-सुनाकर सुहिद्रा (११, ७७)-सुभद्रा सुरिणजो (४१)-सुनिए | सू (२, ६, ३५, ५३) से

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