Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 231
________________ [ ७६ ] विहद (३८)-अपार। | वेगी (६०)-शीघ्र । विहळ (७२) तभवत वीठल के लिए वेचिया (३६)प्रयोग हो। वेढ (१२)---लडाई, युद्ध । विहला (४४, ५९)-विह्वल, व्याकुल | वेढडी (८४)—युद्ध । विहण ( )-रहित । वेढ-प्राघौ (३२)-युद्ध करिए। विहूँणौ (५)-विना, रहित । वेदव्यास (१, ३८)विहूणी (२०)-रहित । । वेदू (३६)वीद (१४)-दुलहा । वेधी (५५)-शसा, सशय । वीठळ (५६)-विट्ठल, विष्णु । वेळा (४६, ५३) - समय । वीठला ( ३७, ४४, १०२)-विष्णू वेस (२३, ३६) का एक नाम, दक्षिण भारत वेसास (४८)-विश्वास । की एक विष्णु मूर्ति । वेसासि (५२)-विश्वास करके । वीठ्ठल (१, ५४, ५६)-दक्षिण भारत | वैकु ठ-वणाणी (७२)—वैकुठ को की विष्णु की एक मूर्ति का 1 रचने वाला। नाम, विष्णु, विट्ठल, श्रीराम। वैकु ठवास (३६)-विष्णु । वीण (२५) तार वाद्य विशेष । । वैजती-माल (४३)-विष्णु के धारण बीनवू (३४)-विनय करता हूँ। करने की एक प्रकार की वीमाह (६, ६६)—विवाह । माला जो पांच रगो की वीर (११, २६, ६८)-भाई। होती है और घुटनो तक वीरज (५१)-वीर्य लटकती है। वीर-हाक (६६)-जोश पूर्ण आवाज | वैरण (३८, ६०, ६२)-वचन । वीराघि (२७)—वीरो का अविपति, | वैराट (२४, २८, ३७, ५१)—वड़ा, महावीर। विस्तृत, लवा-चौडा, फैला वीह (२५)-भय, डर। हुआ। वुसुतरी १२१)—वस्तु वैहिलो (५२)-विह्वल, घबराया वेखूना (१००) हुआ। वेगि (६२)-शीघ्र । वोटिया (८६)-काट डाले।

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