Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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[ ७५. ]
वरतावीजै (१२)
वसिजो (२२)वरताहि (८५)
वसियो (५६ ७३, ६५)-बस गया, वरत (६०)
मिवास किया। वरन (२७)-वर्ण, रग। वसुधा (७२)—पृथ्वी वर-लाछ (५) लक्ष्मीवर, विष्णु। | वसुह (४५, ५८, ८७)-पृथ्वी, वरिणि (५८)-वरुणदेव की स्त्री।
वसुधा, ससार । , वरीयाम (३६)--श्रेष्ठ । वस (४०, ७९)-निवास करता है । वर (७६)-स्वीकार करते हैं, वरण | वह-तान (११)करते हैं।
वहनामी (१०१)-ईश्वर वकरण (६४) लोटना क्रिया । वहत (८६)-बहुत वळि (४१, ४६, ५२, ६३ )—पुन , | वहवाहर (६६)—बाहर जाकर, पीछा । फिर, शक्तिशाली, वालि ।
करके। वलिणि (११)-लौटना क्रिया का वहि (१००)
भाव। वहियो (६३)वळ्यिा (२१)-लौट गया। वहिलो (६०, ६०, १०२ )--शीघ्र, वलिराम (२६)-बलराम
जल्दी। वली (१७)-फिर, और । वहित (१३, ६६)-चलेंगे, वहेगे। वळे (४, १३, १४, ३४, ५६, ६२, वहे (६०)
६४, ६५, ६८, ७३, ७८, वहै (५५, ५६, ८३)-चलकर, चले । १०० )-पुनः, फिर, / वाझणी (३१)—वध्या और।
वारिण (३४)वसता (५०)-वस्तुएं, पदार्थ । वाद (२) नमस्कार करते हैं । वसदे (५७)-वसुदेव
वामरा ( ३, ५, ८, ९५)- वामनावसदेव ( ६, ३६, ६२, ७६, ८२, वतार, ब्राह्मण ।
६६)--श्रीकृष्ण के पिता वामण (२८)-वामनावतार । वसुदेव ।
वामणो (५३) वामनावतार । वसदै (१०१)-वसुदेव
वामन (२४)-वामनावतार। वसार (७४)
| वामे (68)चायी।

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