Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 226
________________ । ७४ ] वखारिणयौ (१३)-वर्णन किया । | वणाव (७२)-रचना, वनावट। . वखवाणी (२३)-देवी। वणावा (३८) रचे, वनाये । वडी (३४)-वडा, महान । वरणाव (४२) रचता है। वछां (७)-वछडा, पशु । | वरणावी (३१)—वनाइए। वछासुर (५६)-कंस का अनुचर एक वदत (३६)-कहते हैं। राक्षस जिमे श्रीकृष्ण ने | वदै (२३)-कहते हैं। वाल्यावस्था मे ही मारा | वचंती (४७)-विशेष था, वत्सासुर। वधती (४७)-विशेष वजाडी (५९)-वजाई, ध्वनित की। वाया (१३, ६३)-स्वागत किया । वड (६८, ७०)-वडा, महान । ववाय (६७)- स्वागत किया। वडवर्ड (८५)-वडे, महान । वधायी (२६, ३२) स्वागत किया वडवडौ (९१)—महान, अत्यत वडा। वघियौ (६४, ८८) वढा, वृद्धि, प्राप्त वडवा (२४) हुआ। वडा (३३, ३७, १६)-महान, वडा। वनमाळी (१)-तुलसी, कुंद, मदार वडाया (७३)—बडाई, महानता, यश पर जाता और कमल इन वडाळ (३६)-बडा, महान . पांचो की बनी हुई माला वडि (५१)—वट वृक्ष पर को धारण करने वाला, वडिमि (१५, ८०)-वडप्न, महानता श्रीकृष्ण, विष्णु, नारायण। वप (२५)-गरीर वडियो (६५)-काटा गया, कट गया वढेरा (३७, १०१)—पूर्वज, पुरखा, | वप ( २१, २४, ७२, ६५ )-वपु, वडा महान । शरीर। वडेरी (२३)-वडी, महान । वपु (५१)-शरीर वडेरो (२१)-वडी, महानत । वमीपण (३, ६६)-रावण का भाई । वडो (२३)-महान, वडा । वयण (१)-वचन, वाणी। वडी (४५, ५२, ५३)–वडा महान, वरण (२१)—वर्णन करता है । दोर्घकाय । वरत (१०२)-पुण्य प्राप्ति के उद्देश्य वरणराय (५१)-बनराजि, वन, जंगल से किया जाने वाला किसी वणायी (२७)-रचा पुण्य तिथि का उपवास ।

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