Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 225
________________ [ ७३ ] लाखीक (१२) लाख रुपयो के मूल्य | लीवो (३२)-लिया। का, लाखो गुणो को धारण लुटार्ड (६१)-लुटवाते है, लुटवा करने वाला। दिए। लागे (४५) लेगता है। लुणियो (६३) लु चन किया। लाछ (७२)-लक्ष्मी लूका (६४)-जैनो का एक । लाछवर (६३)-लक्ष्मीपति, विष्णु। लेखता (६५)-समझने पर। लाछि (७५, ८१, ६७, १००)-लक्ष्मी लेख (१०३)-हिसाव । लेखौ (१००)---गिनती हिसाव । लाछिवर (३२, ५७, ७६, ६२, ८६, लोचन (७७)-नेत्र। ६१, १०२) लक्ष्मीपति, लोढा (६६)-मसालादि पीसने का । विष्णु। लाजा (६२)-लना। पत्थर विशेष । लाडौ (९७)-दूल्हा । लोधियो (६२) लोपस (६२)-उल्लघन करेगा। लावा (५३, ६२, ६७)-मिले, प्राप्त लोही (१३)-रक्त, खून । लाम (२९)-प्राप्त हो। ल्यां (४४)-लेता हूँ। लालचद (३७)--जति का नाम है। ल्यै (४४)-लेते हैं। यह जुढिया ग्राम मे रहता था जुढिया ग्राम मे जतियो | वतप (८२)का उपासरा भी है। वदण (४६) नमन करने को, वदन नमन । लिखमी (३६, ४२, ४८, ५६, ६२, वस (१२, १०२)-कुल, गोत्र । ६२, ६६)-लक्ष्मी। वइण (३८)-वचन, शब्द । लिखमी (४६)- लक्ष्मीपति । वखत (७८)-समय । लिगन (८१) वखाण (३५, ३७)—यश, कीर्ति । लिगी (६८)- - वखाणा (४)-वर्णन करता हूँ। लिये (४४)-लेते हैं। वखारिण (५१)- वर्णन करके । लिवारि (९५) वखाणु (२७)-यश, कीति, वर्णन । लिवार (७) वखारण (५, १३, १५, ३६)-वर्णन लिवारी (७५) करते है, वर्णन करता है, लीधा (२)-लिए। प्रशसा करते हैं। व

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