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रीझवा (७)-प्रसन्न करें, हर्षित करें | रुघवीर (४)-श्रीरामचंद्र भगवान । रीझ (९५)-प्रसन्न होता है रुद्र (७)-एक प्रकार के गण देवता रीता (६३)-रिक्त, खाली।
जिनकी रचना सृष्टि के रोधी (२६, ५३)-प्रसन्न हुआ
आरम्भ मे ब्रह्मा की रीवा (८८)
भौहो से हुई थी। वे रीस (५६, १०३)-कोप
संख्या में ग्यारह माने रुकमणी (१०१)-श्रीकृष्ण की पट- |
जाते हैं । शंभू । ___ महिपी रुक्मरिण ।
रुखेसर (३८)-ऋपीश्वर रुक्मणी (७७)-रुक्मिणी
रूख (११)-वृक्ष रुख (१०१)
रूड (६६)-नगाडे, ढोल आदि बजते रुखम (६६)-रुक्माग - रुखमणी (११, ८३, ६६, ६३, १०३)- रूप (३४)-शकल, सूरत । रुक्मणि
रूपक (३८)-काव्य, कविता । रुखमागद (४४, ६९)-एक भक्तराज रूपा दे (१५)-रावल मल्लिनाथ की __ का नाम, रुक्मागद
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पट्ट-महिपी । रुघनन्दरण (६) श्रीरामचन्द्र रूसेसर (२१)—ऋषीश्वर, महर्षि । रुघनंदण (५५) श्रीरामचन्द्र भगवान | रैवत (१४)-घोडा रुघनाथ (६, ३६, ४२, ५२, ५५, ५६)- रेवत (६०, ६१) घोडा __ रघुनाथ, श्रीरामचन्द्र भगवान ।
रेखी (१७)-रामदेव पीर के अनन्य रुघनाथु (२६)-श्रीराम
भक्त चमार जाति की स्त्री। रुघपति (५५)-रचुपति, श्रीराम भगवान ।
रेण (८१, ६४)–धूलि, भूमि, पृथ्वी । रुघराई ( )-रघुराज, श्रीराम ।
रेणका (८१)-परशुराम की माता रुघराउ (५५)-रघुराज, श्रीराम
का नाम । भगवान ।
| रेणा (५५)-राजा पुसेन जिन की रुघराजा (१०१, ५५)–श्रीराम
कन्या, जमदग्नि ऋपी की भगवान।
पत्नी, परशुराम की माता रुधराम (६६)-रघुनाथ, श्रीरामचद्र
रेणुका। भगवान । } रेणाधर (५२)—समुद्र, सागर ।