Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 222
________________ [ ७ ] रिखव (२४, २८, ७१)-ऋषभदेव | रिमि-रांह (१४)--शत्रुयो को राह पर रिखा (८७)-ऋषि लाने वाला। रिखियो (१३) चमार जाति के के रिप (३६)-पि व्यक्ति जो रामदेव पीर | रिषभ (३८)-ऋपभदेव, जो विष्णु के अनन्य भक्त होते हैं। के २४ अवतारो मे गिने यह शब्द ऋषि का जाते हैं तथा जैनों के अपभ्रश है। आदि तीर्थ कर भी यही रिखी (२६)-ऋपि माने जाते हैं। रिसर (१३)-ऋपीश्वर रिपभदेव (५४)-पमदेव रिजकि (१०१)-रिज्क, रोजी रिपि (१४, ४४)-अपि रिजिक (१०)-नित्य का भोजन, रीछ (१०१)—यह शब्द जामवत के रोजी जीविका, रिज्क ।। | लिए प्रयोग हुया है । रिजियो (६९)-प्रसन्न हुआ। | रीछडी (६३)—ऋक्षराज जामवत की रिण छोड (४, ७२)-युद्ध भूमि को कन्या जिसके साथ कृष्ण का विवाह हुआ था। छोडने के कारण रीजियो (२८)- प्रसन्न हुआ। श्रीकृष्ण का एक रीजी (१४)-प्रसन्न हो। नाम, ईश्वर । रिणि'खेत (८७) रीझ (७२)—दान, पुरस्कार । री (१६, ५४, ५५, ६०, ६३, ६६, रिणिताळ (६६)-युद्धस्थल, युद्ध । १०२)-की रिगिसी (१५) रीछ (६५)—ऋच्छ रिदै (३६)- हृदय रीछडी (८९)-जामवंत की पुत्री रिदै (४३, ४५)- हृदय मे। रीज (४१, ४४) - प्रसन्न होकर, दान रिध-सिव (५)-ऋद्धि-सिद्धि । रीज (१६, २६, ३६, ४१, ४३, ५१)रिपि (५६)-रिपु, शत्रु । प्रसन्न होता है । रिमा (१४)-शत्रुओ रिमि (२१)-शत्रु रीझ (७२)-वख्शीग रोझवा (३३)-प्रसन्न करें रिमियो (७६)-खेला, क्रीडा की। रीझाइ (६५)-प्रसन्न होकर

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