Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 221
________________ [ ६६ ] रामइ ग्रौ (१५)-रामदेव पीर . राधा-रमण (३३)-राधा के साथ रमण करने वाला, रामरण (५६, ६३, १००)-रावरण, | श्रीकृष्ण । दशानन । रांमदे (१५) | राधा-वर (१)-श्रीकृष्ण । रामा (६३)-लक्ष्मी | राम (३, ८, ९,२८, ३६, ५३, ५७, रा (२०, ४४, ५१, ५८, ६६, ६३, ६६, ७१, ७८, ८१)-श्रीराम १०१, ३२, ३६, ४१, ८१, रामावतार, परशुराम । रामचंद (२६, ३५, ५६, ८१, ८७, राईया (१०२)-राजा ६२) रामचंद्र, दशरथ पुत्र, श्रीराम । राईया (७७)-रहने वाला। रामचंदर (५५) श्रीरामचंद्र । राउ (३३)-राजा रामचदि (८२)-रामचद्र भगवान । राउत (१५)-राजपुत्र, राजपूत, राज रामचन्द्र (६७, ६३) उत, योद्धा । रामण (४, ८२)-रावण, दशानन । राकस (२, ६)-राक्षस रामति (७१, ७७)-क्रीडा, खेल, राकसा (८४)-राक्षसो लीला। राखस (६५ -राक्षस रारि (३)-नेत्र, नयन । राखसां (१८, १०३)-राक्षसो रावण (५७) राखै (४३, १००)-रखता है, रखते | रासि (६०) रासौ (१६)-रासा राखौ । ३५)- रखिये | राह (३६, ५२, ५४)-राहु राघव (६, २६, ६३, ८१, ९२) रिख (२६, ३६)- ऋषि - श्रीरामचन्द्र, श्रीकृष्ण। रिख-राया (६)—ऋषि, महपि। राघवा (५५, ७२)-राघव, श्रीराम- | (विश्वामित्र) चन्द्र। | रिखव (३) ऋषभदेव राज (३७, १०१)-राज्य, आप। रिखवदेव (६, १८)-ऋपभदेव, भागराजाई (६७)-राजापन, राजात्व । वत के अनुसार राजा राजि (१०१)--श्रीमान् । नाभि के पुत्र जो विष्णु रातो (५३)-रक्त, लाल । के अवतार माने जाते हैं। राधा (४) जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर।

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