Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 220
________________ [ ६८ ] | रमावे (३०)-क्रीडा करता है। या (४१, ६१)-इन, इस प्रकार, ऐसे।| रम (४२, ७१)-खेलते हैं, रमण यार (७१)-मित्र, दोस्त । करता है, क्रीडा यैर (५१)-इन । करता है। | रवराया (१६, २०)-पुकारने पर रजण (४६)—प्रसन्न करने वाला, दया करने वाली। प्रसन्नता कारक । रसण (३५)—रसना रइ रिण (६७)-भूमि, पृथ्वी । रसा (५१)-पृथ्वी रख-पाळ (४७)-रक्षक । रसातळि (५२)-रमातल मे । रखै (१)-ऐसा न हो। रहक्क (६६)-गाया जाता है, लय मे रखै (६६)-देखे । होता है। रगत (३१, ७६) रक्त, खून । रहमाण (६, २४, ३७, ८४, ८६, रगत-वंवाळि (१९)- रक्त पान करने १०,६१)-दयालु, वाली, महान प्रचड । कृपालु, रहीम, ईश्वर रजोगुण (४२)-तीन गुणो मे से जो का एक नाम । समस्त पदार्थों में पाये | रहमाण (८६)-ईश्वर जाते हैं दूसरा गुण, | रहिचीया (६०)-सहार किये, मार रजम् । डाले। रटक (८४)-टक्कर, मुकाविला, | रहिमाण (१८)-ईश्वर, रहमान । सामना । रहीज (४५)-रहिए, रहा जाता है । रडवड (६१)-इधर उधर गिरना। रहै (४५) रडवर्ड (६६)-इवर उधर पडे पैरो रा (६६) के से ठुकराया जाये। राक (२६, ३६, ४४, ३५)-रक, रत (६६)-रक्त, खून । ___ गरीव । रतरी (२१) राकना (७२)--रक, गरीव । रत्ती (११)-प्रेम राम (६, ७, ५५, ६८, ६१, ६६)रन (५६)-अरण्य, वन । ईश्वर, श्रीराम । रमाया (२१) खेलाया राम राजा (१२)--श्रीरामचन्द्र ।

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