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रिखव (२४, २८, ७१)-ऋषभदेव | रिमि-रांह (१४)--शत्रुयो को राह पर रिखा (८७)-ऋषि
लाने वाला। रिखियो (१३) चमार जाति के के रिप (३६)-पि
व्यक्ति जो रामदेव पीर | रिषभ (३८)-ऋपभदेव, जो विष्णु के अनन्य भक्त होते हैं।
के २४ अवतारो मे गिने यह शब्द ऋषि का
जाते हैं तथा जैनों के अपभ्रश है।
आदि तीर्थ कर भी यही रिखी (२६)-ऋपि
माने जाते हैं। रिसर (१३)-ऋपीश्वर
रिपभदेव (५४)-पमदेव रिजकि (१०१)-रिज्क, रोजी
रिपि (१४, ४४)-अपि रिजिक (१०)-नित्य का भोजन, रीछ (१०१)—यह शब्द जामवत के रोजी जीविका, रिज्क ।।
| लिए प्रयोग हुया है । रिजियो (६९)-प्रसन्न हुआ।
| रीछडी (६३)—ऋक्षराज जामवत की रिण छोड (४, ७२)-युद्ध भूमि को
कन्या जिसके साथ कृष्ण
का विवाह हुआ था। छोडने के कारण
रीजियो (२८)- प्रसन्न हुआ। श्रीकृष्ण का एक
रीजी (१४)-प्रसन्न हो। नाम, ईश्वर । रिणि'खेत (८७)
रीझ (७२)—दान, पुरस्कार ।
री (१६, ५४, ५५, ६०, ६३, ६६, रिणिताळ (६६)-युद्धस्थल, युद्ध ।
१०२)-की रिगिसी (१५)
रीछ (६५)—ऋच्छ रिदै (३६)- हृदय
रीछडी (८९)-जामवंत की पुत्री रिदै (४३, ४५)- हृदय मे।
रीज (४१, ४४) - प्रसन्न होकर, दान रिध-सिव (५)-ऋद्धि-सिद्धि ।
रीज (१६, २६, ३६, ४१, ४३, ५१)रिपि (५६)-रिपु, शत्रु ।
प्रसन्न होता है । रिमा (१४)-शत्रुओ रिमि (२१)-शत्रु
रीझ (७२)-वख्शीग
रोझवा (३३)-प्रसन्न करें रिमियो (७६)-खेला, क्रीडा की। रीझाइ (६५)-प्रसन्न होकर