Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner
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६४ ]
महिरिवारण (२८)-महरवान, महा- | माडहै (१४)-विवाह-मडप ।
र्णव । माडही (६०, ६६)-विवाह-मडप । महिराण (१०१)-महार्णव, समुद्र । माडिया (६८)-रचे । महिरामण (१००)-पाताल मे रहने मांडीयौ (५८)-~-रचा, बनाया।
वाले दो भाई अहिरावण माडे (२१) रचे । और महिरावण । कोई / माडे (८१)-रचकर । कोई इन्हें रावण का मित्र | माडी (१०)-रची, रचिए। वतलाते है और कोई भिन्न | मारिण (९०)-उपभोग करके, रसामत रखते हैं। ये घोर गर- स्वादन करके । कर्मी थे।
मारणी (८६)-उपभोग करेंगे। महिरिवाण (३८)-महरवान, कृपालु । मारणे (२, ३०)-रखता है, उपभोग महोबार (५६)-गोप स्त्रिएं, ग्वा
किया । । लिनिए । मानियो (२३)-माना। महेस (३५)-महादेव।
माहि (३५, ३७, ३८, ४०, ४६, ५२, महेसरि (२१)---माहेश्वरी, देवी ।
८१, ६३, ६५)--मे।
माही (१६, ३५, ६०)-मे। महेसुर (४४)- ।
माहै (५२) मे । मा (१)-मे।
माग (१०१)- मांगता है, याचना माँ (२)-मे।
करता है। मा (१०, ११, १२, १७, २०, २१,
माछ (५६) मत्स्यावतार लेने वाला ३०, ३१, ३२, ३७,. ४०, ४१, विष्णु। ४२, ४३, ४५, ४६, ४७, ४८,
माछर (७६)--मच्छर। ४६, ५५, ५६, ५६, ६०, ६८, |
माटी (५८)---मृनिका, मिट्टी। ७०, ७१, ८२, ८३, ८७, १०,
| माडा (६६)जवरदस्त, वलात् । ६५, ६७)-मे।
मारणीया (८३)-उपभोग किया। मांकळी (७०)-वहुत, अधिक ।
मारणे (१९)-उपभोग करती है। माना (३४)- मांगता हूँ।
मात (६९) माडण (१००)-रचने को। | माथ (२१, ६६, १०३)-ऊपर ।
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