Book Title: Pirdan Lalas Granthavali
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Sadul Rajasthani Research Institute Bikaner

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Page 207
________________ [ ५५ ] प्रम (७, २५, ६७, १०१)-परम, | प्राखियो (८९) स्वागत करेंगे। महान, ईश्वर । प्राजी (८९)-सेवक, दाम । प्रमाण (५१)-समान प्रामी (६)-प्राप्त की। प्रमेसं (३०)-परमेश्वर प्रामै (४३)—प्राप्त करता है। प्रमेसर (४, ७, ८, १०२)-परमेश्वर | प्रास (५, ६, ३७, ५०, ६६)-पाश, प्रम्म (३६)- परम, ईश्वर । वंधन । प्रयाग (५१) तीर्थराज प्रयाग | प्राहणा (८१)—महमान, प्राधुरण । प्रवाडा (५, ८४ )-महान और प्राहणौ (७७, ८८)-महमान । _ चमत्कार पूर्ण कार्य । प्राहुणा (८४)-महमान । प्रवाडा (१७, ६३)-महान कार्य । प्रिथमादि (२८)-पृथ्व्यादि । प्रविति (८३)-पवित्र प्रवीत (२)-पवित्र प्रीतवर (६७)-पीताम्बर । प्रवीति (३०, ३१)-पवित्र प्रीतवर (४३)-पिताम्वर । प्रवेस (३५)-प्रवेश | प्रीतम (३५)—प्रियतम, प्यारा वल्लमा प्रसासुरा (१०३)-दैत्य प्रीता (९३)—प्रीति। प्राखि (१३) प्रेज (६७)-प्रजा। प्राघण (१००)—वेढ प्राखणौ अथवा | प्रोळि (५३)-तोरणद्वार । फ पाखणौ यह मुहावरा है जिसका अर्थ स्वागत करना फट्ट (५३)--फट गया है। और व्यग मे, मारना और फत (२१)-विजय । पीटना भी होता है। फर्व (६२)-शोभा देते हैं। प्रामस (६५) प्राप्त करेंगे। फरस (६)-परशुराम । प्रामिजै (४०)-प्राप्त किये गए। फरसराम (६६)-परशुराम । फरसराम (३, ३६)-परशुराम । प्रामिस (८५, १०२)-प्राप्त करेगी या करेंगे। फरसा (५५)-परशुराम । प्रामीयो (६६) प्राप्त किया। फरसि (५५)–परशु। प्राखड (६३)-पाखण्ड । फरसिराम (२९)-परशुराम । प्राखिडिया (११)-१ अश्वारोही फरहर (६२) हवा मे इधर उधर २. सम्मान करने वाले। ध्वजा के होने की क्रिया ।

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