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फळी (८६)-फलीभूत हुई बजरि (८०)-वज्र, वन जैसा । नोट-फळणी क्रिया का भूत- वजाडी ( २ )-बजाई, ध्वनिमान की
कालिक प्रयोग है। वडाळी (२)~वडा, महान । फाविति (४३)~सुशोभित हो रहे है। वडेरी (१९)-वडी फावियो (३)-सुशोभित हुआ। वरणण (८७) - ध्वनि विशेष । फाविम (६६)-गोभित होगे। वताडौ (८)-बताइए फुलारिणया (८६)-फूल दल हुई। वभीखरण (४४, १००, ८१, ८५, फुलिंदर (६६)पुरदर, इन्द्र ।
६५)-रावण का भाई, फेरा (१७, १८)-दफा, वार ।
विभीषण। फेसि (११)-फोडना, तोडना । वरघू (६६, ८६)-~-वाद्य विशेप । फोर्ड (४७)-फोडता है।
वरदान (३८)---किसी कार्य का लाभ फौतरा (८२)-मौत के
के लिए प्रसन्नता से ही
अथवा देव विशेष या बडे वछासुर (४)~वत्सासुर नाम का एक
का प्रसन्न होकर कोई दैत्य जिसको कृष्ण ने
अभिलपित वस्तु या सिद्धि वाल्यावस्था मे ही मार
देना। डाला था।
वळ (४७, ६८)--शक्ति, गति, फिर । वंधव (५७) -- भाई।
वळच (६३)--बलीवर्द, बैल यहाँ वंम (३५, ४०, ४२, ७३)-ब्रह्मा ।
अंतरकथा का पता नही वभेमर (४)- ब्रह्मा ।
चलता, नाथा तो नाग था वक (११, ४४ -~-वकती है, कहती है । वळभद्र (५७, ६०) बलिभद्र, वखाणं (१, ६) वर्णन करते हैं, यश- 1 श्रीकृष्ण के बडे भाई बलराम गान करते हैं।
वळवत (७०) बलवान, शक्तिशाली वगस से (६४) - प्रदान करेगा। बलाक्रम (६, ३८)--शौर्य, वीरता, वगासुर (४, ५९)~बकासुर नामक
शक्ति, सामर्थ्य । दैत्य जिसे कृष्ण ने मारा था। वलि (३३, ३६, ६५) राजा बलि । वघ वाणी ( ३८ )-जिसका सिंह । वलिभद्र (७, १८, ६५, ६६, १०१)वाहन है।
श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम. ,