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श्रोळगे (६०, ६१)-स्तुति करता है | कंसवाळा (68)कंस के ।
(करते हैं)। कंसार (१२)एक प्रकार का व्यंजनओळभा (५८)-उपालंभ ।
विशेप । ओलिखिौ (९७)--पहिचान लिया। कसाळ (६६) वाद्य-विशेष जो झाझ
से बडा होता है। श्री ( ३, १२, २६, ३४, ४२, ४५, कंसासुर (६०) देखो 'कंस'। ४६, ४६) यह ।
कसासुर (१०३)-देखो 'कस' । (३, ८६)-अरे।
कंसि (८२)—देखो 'कस' । प्रौडाह (९६)-उत्साह, हर्प । प्रीयीऐ (७४)—वहाँ।
| कछ (५२)-कच्छपावतार । औद्रके (५२)-भयभीत हुए। | कजि (५१, ८२)-लिये श्रीळग (५६) स्तुति, यशोगान ।। कट (४३)कटि, कमर । ओळगू (३)-स्तुति करूं, यग वर्णन
(E) नाग करू ।
कटक (६४, ७०, ८४, ८५, ६१)
मेना, दल, समूह । कइ (८३)-क्या। कटक (५४.५६)-असुर, राक्षस. राठ । कटकडा (१२) सना कटग (२२)—वावक, विघ्नकर्ता। कटके (९३)—फटक, दल । कंठीर (९४)-निह (नृसिंहावतार)। कटग (६३) सेना कंत (३६)—कात, पति । कठरण (२, ३५)---कठिन ।। कव (४)-स्कन्ध, कन्धा ।
कठियाणी (१५)—काठियावाड प्रान्त कंमण (१९)—कीन ।
मे उत्पन्न स्त्री अथवा काठी कस (३६, ६०, ६१, ६२, ६७, ७१,
जाति की स्त्री। ८३)-मयुराधीश उग्रसेन का पुत्र और श्रीकृष्ण का मामा कस,
| कठ (४१, ५०)-कहाँ। जिसे मारकर श्रीकृष्ण ने उनकी कडकड (९१) प्रहार क
कडकड (९१)—प्रहार की ध्वनि । कैद से अपने माता-पिता को ! कहिडिस (६६)-कडकडाहट की व्वनि छुड़ाया था।
करते हुए गुटगे।